________________ तो उसको पगार देव द्रव्य में से कैसे दिया जाय? नही ही दिया जा सकता हैं। हां यह एक बात हैं कि जहां पर प्रभु की पूजा वहां की वस्ती के अभाव में अगर वहां की वस्ती पूजादि करने की असमर्थ होने के कारण बंध हो जाय वैसी स्थिती होवे तो वहां पर यदि श्रावक वर्ग अपनी शक्ति के अभाव में जैसे देव द्रव्य में से पूजादि करावे वैसे जैनेतर पूजारी को भी देव द्रव्य में से पगार देवे तो दोष नही है। ज्ञान द्रव्य का उपयोग .. (1) आगम शास्त्रादि धार्मिक पुस्तके, साधु साध्वी सम्बन्धित अध्ययनादि के लीए विविध साहित्यादि पुस्तक लेने में, छपवाने में कागद तथा उसके साधन खरीदने के लीए, जैनेतर लहीआओ को देने में और आगमादि शास्त्र साहित्य के रक्षण में ज्ञान द्रव्य को खर्च सकते है। (2) साधु साध्वीजी को पढ़ाने वाले जैनेतर पंडीत को पगार में तथा पुरस्कार में दे सकते हैं लेकिन ज्ञान द्रव्य में से श्रावक श्राविका के पगारादि में नही देना। (3) ज्ञान खाते की रकम में से ज्ञान भंडार बना सकते हैं। ज्ञान भंडार के पुस्तकों का अध्ययनादि करने के लिए साधु-साध्वीजी ही उपयोग कर सकते हैं श्रावक श्राविका को यदि उपयोग करना है तो उसका किराया (नकरा)