Book Title: Devdravyadi Vyavastha Vichar
Author(s): Vichakshansuri
Publisher: Parshwanath Jain Shwetambar Mandir Trust

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Page 15
________________ (12) जिनाज्ञा को प्रधान मानने वाला . यह एक भी देव द्रव्यादि धर्म द्रव्य के वहीवट का कार्य जिनाज्ञा के विरूद्ध नहीं करेगा। श्री जैन संघ को ऐसे 12 गुण सम्पन्न सुश्रावक को देव द्रव्यादि धर्म द्रव्य के तथा मन्दिर उपाश्रयादि धर्म स्थानों के वहीवट में ट्रस्टी तरीके वास्तव में अधिकारी होने से नियुक्त करना चाहिए। ट्रस्टी गण को सात क्षेत्र, सात क्षेत्र का द्रव्य, सात क्षेत्र में आवक के उपाय, किस क्षेत्र का द्रव्य किस क्षेत्र में उपयोगी हो सकता है किस क्षेत्र में नही हो सकता तथा सात क्षेत्र के द्रव्य का कैसे संरक्षण संवर्धन-सद्व्यय करना यह सब जिनाज्ञानुसार कैसे होवे उसकी जानकारी सही तौर पर प्राप्त करनी चाहिए। (1) अरिहन्त परमात्मा के शासन में ये सात क्षेत्र हैं - - (1) जिन प्रतिमा (2) जिन मंदिर (3) सम्यग् ज्ञान (4) साधु (5) साध्वी (6) श्रावक (7) श्राविका। (2) सात क्षेत्र द्रव्य - यह सात क्षेत्र सद्गृहस्थों को लक्ष्मी का सद्व्यय करके धर्म बीज बोने के लिए है। सद्गृहस्थ इन सात क्षेत्रों में शक्ति अनुसार अपनी धन सम्पत्ति का सद्व्यय करके अपूर्व पुण्य

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