Book Title: Devdravyadi Vyavastha Vichar
Author(s): Vichakshansuri
Publisher: Parshwanath Jain Shwetambar Mandir Trust
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________________ अधबीच छोड़े बिना व्यवस्थित रूप में पूरा करता है। (7) मतिमान् - . बुद्धिशाली मनुष्य अपनी बुद्धि से कार्यो में आती हुई कठिनाइओं को अच्छी तरह से दूर कर सकता है। (8) धर्म रागी .. धर्म कार्य करते समय कभी भी अधर्म की प्रवृत्ति न हो जाय, उसकी सावधानी रखने वाला होता है। (9) गुरु भक्त - गुरु भगवन्त इसको देव द्रव्यादि धर्म द्रव्यादि का वहीवट ठीक तौर पर कैसे करना, यह समझा सके तथा समझ कम होने की वजह से जिनाज्ञा के विरुद्ध वहीवट करने से रोक भी सकें। (10) शुश्रूषादि बुद्धि के आठ गुण युक्त इन्हे धर्म तत्वो की समझदारी अच्छी प्राप्त होने से ये धर्म द्रव्यादिका वहीवट सोच समझ कर जिनाज्ञा के अनुसार कर सकते हैं। (11) देवद्रव्यादि की वृद्धि वगेरे के उपायों का ज्ञाता - यह श्रावक सही रूप से धर्म द्रव्यादि का वहीवट कर सकता है उसके द्वारा नुकसानी का संभव नही।
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