Book Title: Bhuvaneshvari Mahastotram
Author(s): Jinvijay, Gopalnarayan Bahura
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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(१८) महास्तोत्र के भाष्यकार कवि पदानाम' का परिचय कहीं उपलब्ध नहीं हुआ। कृति के अन्तःसाक्ष्य से भी सूत्रानुसन्धान प्राप्त नहीं होता। यद्यपि संस्कृतसाहित्यकारों में कितने ही पद्मनाम नाम के ग्रंथकर्ता और कवियों का उल्लेख प्राप्त है परन्तु उन में से किसी के साथ भी इन पद्मनाम की संगति नहीं बैठती । अतः इनके विषय में निश्चयपूर्वक कोई मत व्यक्त नहीं किया जा सकता। अनुसन्धित्सु विद्वानों से पततिषयक अभिशा की आशा करता हूं।'
दत्वा वरं भगवती हृदयं प्रविष्टा . शास्त्रैःस्वयं नवनवैश्च मुखेऽवतीर्णा ॥ ४ ॥ वासिदिमेवमतुलामवलोक्ल नाथ: श्रीशम्भुरस्य महतीमपि तां प्रतिष्ठाम् । स्वस्मिन् पदे त्रिभुवनागमवन्धविधासिंहासनैकरुचिरे सुचिरं चकार ॥ ४२ ॥ इत्थं मासत्रयमविकलं यो व्रतस्थः प्रभाते मध्याहे वास्तसनसमये कीर्तयेदेकचित्तः ।। तस्योल्लासैः सकलभुवनाश्चर्यभूतैः प्रभूतैः विद्याः सर्वाः सपदि वदने शम्भुनाथप्रसादात ॥ ४४ ॥ .... . व्रतेन हीनोऽप्यनवाप्तमन्त्रः श्रद्धाविशुद्धोऽनुदिनं पठेद् यः। ...... तस्यापि वर्षादनवासद्यः कवित्वहृयाः प्रभवन्ति विद्याः ॥ ४५ ॥ कोऽप्यचिन्त्यप्रभावोऽस्य स्तोत्रस्य प्रत्ययावहः । श्रीशम्भोराज्ञया सर्वाः सिद्धयोऽस्मिन् प्रतिष्टिताः ॥ ४६ ॥ पद्मनाभ नामक निन्नलिखित ग्रन्थकारों का परिचय मिलता है :क. रामखेटक काव्य के कर्ता पमनाभ, लक्ष्मीनाथ शिष्य । रचनासम्वत् १८३६ 1 ___ एसियाटिक सोसायटी बंगाल का सूचीपत्र । कैटलागस कैटलोगरम् 1. ५२० ख. चन्द्रिका जनमेजय के कर्ता पमनाम । __मद्रास लायब्रेरी कैटलाग सं०:५५७० ग. मदनलीलादर्पण भाण के कर्ता पद्मनाभ लक्ष्मण और वेणकमाग्बापुत्र ।
मद्रास लायरी:कैटलग भाग ३. ३१७५ नोट :-इनके द्वारा रचित त्रिपुरविजयच्यायोग भी संख्या ३४७ पर अतित है । इनका
समय १६वीं शताब्दी है। घ. रुक्माङ्गदीय काव्य के कर्ता पमनाभ ।।
कैटलागस कैटलोगरम् भाग।। १३२ १. वीरभद्रदेवचम्पू के कर्ता पानाभ बलभद्रसुत ।
सरस्वतीभवन पुस्तकालय, उदयपुर का सूचीपत्र । सं० ८६०, १५०८ नोट:-ये दोनों प्रतियां क्रमशः सं. १६४८ और १६६१ में लिखित हैं। पीटरसन ने "बम्बई
प्रान्त में संस्कृत हस्तलिखित ग्रन्थों की खोज" . नामक विवरण में भी इनका उल्लेख किया है। ... . : ...
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