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पुस्तक को सकलित करने की विशेष प्रेरणा एव आग्रह श्री उमरावमलजी चोरड़िया का रहा, जिस कारण यह सकलन प्रस्तुत हो सका है। पुस्तक के सम्पादन तथा मुद्रण तकनीक की प्रस्तुति मे श्री श्रीचन्द जी सुराणा एव श्री प्रेमचन्द जी जैन, आगरा का पूर्ण योगदान रहा है।
अन्त मे हम आशा करते हैं कि भक्तामर स्तोत्र-पाठी एव आराधको के लिए यह पुस्तक अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी और गहन चितन के साथ "भक्तामर अमर हो" का मार्ग प्रशस्त करेगी। उमरावमल चोरड़िया
देवेन्द्रराज मेहता (अध्यक्ष)
(सचिव) ___ अ भा स्था जैन कान्फ्रेस (राजस्थान) प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ,