Book Title: Bhagwati Sutra Part 17
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 725
________________ प्रमैयबन्द्रिका टीका श०४० अ. श. १७-२१ संनिमहायुग्मशतानि ६९३ रोपमाणि अन्तर्मुहूर्ताभ्यधिकानि, एतावत्परिमिता ज्ञातव्या अन्तर्मुहूर्ताधिकत्रिंशसागरोपमकथनं तु उपरितनगवेयकदेवमाश्रित्य ज्ञातव्यम् तत्र देवानामेतावदेवायुभवति शुक्ललेश्या च भवति, अभवसिद्धिकजीवा श्चोत्कर्पनस्तत्रैव देवतयोत्पद्यते न तु ततः परतः समुत्पद्यन्ते अन्तर्मुहूर्त च पूर्वभवावसानसम्बन्धीति । 'ठिई एवमेत्र स्थितिरपि एवमेव संस्थानाममितैव किन्तु 'नवरं संस्थानकालादेतद् वैलक्षण्यं तदेवाह-'अंतोमुहुत्तं नत्थि' अंतर्मुहूर्त नास्ति अत्र स्थिती 'अंतोमु. हुत्तममहियाई' इति पदं न वक्तव्यम्, स्थितिरेपामेत्रिंशत्सागरोपमाणि, इति भावः । 'जहन्नगं तहेव' जघन्यकं तथैव स्थितेजघन्यकाल: संस्थानकालस्य जघन्यअन्तर्मुहर्त अधिक ३१ सागरोपम का अवस्थितिकाल है। उपरितन प्रैवेयकके देवों को आश्रित करके शुक्लटेश्या का यह अवस्थान काल कहा गया है । क्योंकि वहां पर देवों की इतनी ही आयु होती है और शुक्ल लेश्या होती है। अभवसिद्धिक जीच उत्कृष्ट से नौवें ग्रैवेयक तक जाते हैं। इसके आगे नहीं जाते हैं अभवसिद्धिक संज्ञीपञ्चेन्द्रिय जीवकी शुक्ललेश्या की स्थिति जो अन्तर्मुहूर्त अधिक ३१ सागरोपमकी कही गई है, सो इस कारण तो पूर्व में प्रकट किया ही जा चुका है, परन्तु अन्तर्मुहूर्त अधिकता जो यहां बतलाई गई है वह पूर्वभव के अन्त के अन्तर्मुहर्त को लेकर एताई गई है ऐसा जानना चाहिये । 'ठिई एवंचेव' स्थिनिकाल आयुष्मकाल भी अवस्थानकाल के ही जैसा है । परन्तु 'अंनोमुहत्त नत्यि' यहां एक अन्तर्मुहर्त की अधिकता नहीं है। आयुष्ककाल यहां केवल ३१ सागरोपम का ही है। 'जहन्नगं तहेव' વધારે ૩૧ એકત્રીસ સાગરોપમને અવસ્થિતિકાળ કહેલ છે. ઉપરિતન શૈવેયકના દેવને આશ્રય કરીને શુકલેશ્યાને આ અવસ્થાન કાળ કહેલ છે. કેમ કે ત્યાં દેવેનું આયુષ્ય એટલું જ હોય છે અને શુકલેશ્યા હોય છે. અભવસિદ્ધિક છે ઉત્કૃષ્ટથી નવમાં પૈવેયક સુધી જાય છે. તેથી આગળ જતા નથી. અભવસિદ્ધિક સંપિચેન્દ્રિય જીવોની શુકલલેસ્થાની સ્થિતિ જે અંતર્મુહૂર્ત વધારે ૩૧ એકત્રીસ સાગરેપમની કહેલ છે. તે તેનું કારણ તે પહેલા બતાવવામાં આવ્યું જ છે. પરંતુ અંતમુહૂત અધિકપણું અહિયાં કહ્યું છે, તે પૂર્વભવના અન્તના અંતમુહૂર્તને લઈને કહેલ છે, તેમ સમજવું. 'ठिई एव चेव' स्थिति भने आयुष्य ५९ मवस्यान प्रभार . ५२'तु 'अतोमुत्त नत्थि' महियां में मतभुतनु मधिपायी . અર્થાત્ આયુષ્યકાળ અહિયાં કેવળ ૩૧ એકત્રીસ સાગરોપમન જ છે. 'जइन्ना तहेव' स्थिति सत्यानना वन्य प्रमान छ. अन्य

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