Book Title: Bhagvati Sutram Part 03
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भ्याख्याप्रज्ञप्तिः *- ॥५८२॥ +% तथा नीचे नीचेनी अवेयक कल्पातीत यावत् उपर उपरना अवेयकयल्पातीतदेवप्रयोगपरिणत, विजयअनुत्तरौपपातिक, यावत् अपराजितअनुत्तरौपपातिक. ४८ शतके सव्वट्ठसिद्धकप्पातीयपुच्छा, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तसव्वट्ठसिद्धअणुत्तरो० अपज उद्देशः१ त्तगसव्वट्ठ जाव परिणयावि, २ दंडगा ॥ जे अपज्जत्ता सुहुमपुढवीकाइयएगिदियपयोगपरिणया ते ॥५८२॥ ओरालियतेयाकम्मगसरीरप्पयोगपरिणया, जे पजत्ता सुहुम जाव परिणया ते ओरालियतेयाकम्मगसरीरप्पयोगपरिणया, एवं जाव चउरिंदिया पज्जत्ता, नवरं जे पज्जत्तबादरवाउकाइयरागिदियपयोगपरिणया ते ओरालियवेउब्वियतेयाकम्मसरीर जाव परिणता, सेसं तं चेव, जे अपज्जत्तरयणप्पभापुढविनेरइयपंचिंदियपयोगपरिणया ते वेउब्बियतेयाकम्मसरीरप्पयोगपरिणया, एवं पज्जत्तयावि, एवं जाव अहे. सत्तमा । जे अपज्जत्तगसमुच्छिमजलयरजावपरिणया ते ओरालियतेयाकम्मासरीर जाव परिणया एवं पजत्तगावि, गब्भवतिया अपज्जत्तया एवं चेव, पज्जत्तयाणं एवं चेव, नवरं सरीरगाणि चत्तारि जहा बादरवाउकाइयाणं पज्जत्तगाणं, एवं जहा जलचरेसु चत्तारि आलावगा भणिया एवं चउप्पयउरपरिसप्पभुयपरिसप्पखयरेसुवि चत्तारि आलावगा भाणियव्वा । जे संमुच्छिममणुस्सपंचिंदियपयोगपरिणया ते ओरालियते-15 याकम्मासरीर जाव परिणया, एवं गन्भवतियावि अपज्जत्तगावि, पजत्तगावि एवं चेव, नवरं सरीरगाणि पंच भाणियब्वाणि, जे अपज्जत्ता असुरकुमारभवणवासि जहा नेरइया तहेव, एवं पज्जत्तगावि, एवं दुय % बाबEALA For Private and Personal Use Only

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