Book Title: Bhagvati Sutra Part 02 Author(s): Ghevarchand Banthiya Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak SanghPage 10
________________ क्रमांक १६६ स्निग्ध पथ्यादि वायु १६७ वायु का स्वरूप १६८ ओदन आदि के शरीर १६९ लवण समुद्र १७० १७१ पिपय उद्देशक - २ १७२ १७३ उद्देशक - ३ - अन्यतीर्थियों की आयु-बन्ध विषयक मान्यता आयुष्य सहित गति उद्देशक-४ Jain Education International पृष्ठ ७७४ ७७८ ७८१ ७८५ ७८७ ७९० शब्द श्रवण छद्मथ और केवली का हंसना व निद्रा लेना ७९८ १७४ शक्रदूत हरिर्नंगमेषी देव ८०२ १७५ श्री अतिमुक्तक कुमार श्रमण ८०५ १७६. दो देवों का भगवान् महावीर से मौन प्रश्न ७९४ ८०९ ८१४ ८१६ ८१७ ८१९ ८२१ १७७ देव, नोमयत १७८ देवों की भाषा १७९ छद्मस्थ सुनकर जानता है। १८० प्रमाण १८१ केवली का ज्ञान १८२ अनुत्तरौपपातिक देवों का मनोद्रव्य ८२४ १८३ केवली का असीम ज्ञान ८२६ १८४ केवली के अस्थिर योग ८२८ १८५ चौदह पूर्वधर - मुनि का सामर्थ्य ८३० श्रमांक १८६ १८७ वेदना १८८ कुलकर आदि १९० १९१ १९२ १६३ १९४ १९५ १९६ १९७ १९८ १९९ २०० २०१ २०२ उद्देशक - ६ १८९ अल्पायु और दीर्घायु का कारण ८३९ भाण्ड आदि से लगनेवाली क्रिया ८४५ अग्निकाय का अल्पकर्म महाकर्म ८५१ ८५२ ८५६ आधाकर्मादि आहार का फल ८५८ आचार्य उपाध्याय की गति २०३ २०४ २०५ २०६ विषय २०७ उद्देशक - ५ केवलज्ञानी ही सिद्ध होते हैं ८३२ अन्यतीर्थियों का मत - एवंभूत पृष्ठ धनुर्धर की क्रिया अन्यतीथिक का मिथ्यावाद 633 ८३६ ८६१ मृषावादी अभ्याख्यानी को बन्ध ८६२ उद्देशक- ७ परमाणु का कम्पन ८६४ परमाणु पुद्गलादि अछेद्य ८६६ परमाणु पुद्गलादि के विभाग ८६८ परमाणु पुद्गलादि की स्पर्शना ८७० परमाणु पुद्गलादि की संस्थिति ८७७ परमाणु पुद्गलादि का अन्तर काल For Personal & Private Use Only ८७९ नैरयिक आरंभी परिग्रही ८८४ असुरकुमार आरंभी परिग्रही ८८५ इंद्रिय आदि का परिग्रह ८८७ हेतु अहेतु ८९० उद्देशक - ८ निग्रंथी पुत्र अनगार के प्रश्न ८६३ www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 560