Book Title: Bhagvati Sutra Part 02 Author(s): Ghevarchand Banthiya Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh View full book textPage 8
________________ क्रमांक ११० विषयानुक्रमणिका शतक- ३ पृष्ठ क्रमांक १०५ चमरेन्द्र की ऋद्धि १०६ वैरोचनराज बलीन्द्र नागराज धरणेन्द्र १०७ १०८ देवराज शकेन्द्र की ऋद्धि १०९ ईशानेन्द्र आदि क़ी ऋद्धि और विकुर्वणा कुरुदत्तपुत्र अनगार आदि की ऋद्धि १११ ईशानेन्द्र का भगवद्वंदन ११२ ईशानेन्द्र का पूर्व भव ११३ बलिचंचा के देवों का आकर्षण विषय उद्देशक - १ और निवेदन ११४ तामली द्वारा अस्वीकार ११५ ईशानकल्प में उत्पत्ति ११६ असुरकुमारों द्वारा तामली के शव की कदर्थना Jain Education International ५३३ ५४८ ५५० ५५३ ५६१ ५६२ ५६७ ५७१ ५८१ ५८५ '૮૬ ५८७ ५८९ ५९१ ११७ ईशानेन्द्र का कोप ११८ असुरों द्वारा क्षमा-याचना ११९ शकेन्द्र और ईशानेन्द्र के विमानों की ऊँचाई १२० दोनों इन्द्रों का शिष्टाचार १२१ सनत्कुमारेन्द्र की मध्यस्थता १२२ सनत्कुमारेन्द्र की भवसिद्धिकता ६०१ ५९९ विषय उद्देशक-२ असुरकुमार देवों के स्थान ६०६ असुरकुमारों का गमन सामर्थ्य ६०८ असुरकुमारों के नन्दीश्वर गमन का कारण १२६ असुरकुमारों के सौधर्मकल्प में जाने का कारण आश्चर्य कारक 253 १२४ १२५ १२७ १२८ १२९ १३० १३१ १३२ १३३ १३४ ५९५ १३५ ५९६ १३६ १३७ चमरेन्द्र का पूर्वभव चमरेन्द्र का उत्पात फैकी हुई वस्तु को पकड़ने की देव-शक्ति इन्द्र की ऊर्ध्वादि गति चमरेन्द्र की चिन्ता और वीर वन्दन उद्देशक - ३ कायिकी आदि पांच क्रिया क्रिया और वेदना जीव की एजनादि क्रिया प्रमत्त संयत और अप्रमत्त संयत का समय लवण समुद्र का प्रवाह For Personal & Private Use Only पृष्ठ ६१० ६१२ ६१४ ६१७ ६२२ ६३७ ६४० ६४५ ६५१ ६५५ ६५६ ६६५ ६६८ www.jainelibrary.orgPage Navigation
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