Book Title: Bhagvati Sutra Part 02
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 6
________________ शुद्धि-पत्र M.N.MAARAAN - ... पंक्ति गुद्ध अशुद्ध सदपरिवाराणं पुद्गलों के विशेरुता दिध्य -मंगललंक्कारेण छारियभूया संगइस्स सुमहल्लवि पव्वज्जाए पुढवीसिलावट्टए कपात सपरिवाराणं पुद्गलो को विशेषता दिव्य -मंगललंकारेण अंतिम रयम्भूया संगइयस्स सुमहल्लमवि पव्वज्जाए पव्वइत्तए पुढवीसिलावट्टए कंपता भंग भंग किन्तु ७०० ७०६ ते णं ७३१ मूलपाठ में अंतिम ७४७ ७५४ कित्तु तं णं मूलपाठ त्रिभागणा तत्स्पर्शभूमण्लड दिन परिमाण स च्चेव मनुष्यों से अनणंरागमे तिभागणा तत्स्पर्शपने परिणम जाती है। भूमण्डल दिन के परिमाण सच्चेव मनुष्यों में से अणंतरागमे ७७० ८१९ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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