Book Title: Bhagvati Sutra Part 02 Author(s): Ghevarchand Banthiya Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh View full book textPage 9
________________ क्रमांक विषय पृष्ठ । क्रमांक विषय उद्देशक-४ उद्देशक-९ १३८ अनगार की वैक्रिय शक्ति ६७० | १५४ इन्द्रियों के विषय "७३२ १३९ वायुकाय का वैक्रिय ६७३ उद्देशक-१० मेघ का विविध रूपों में परिणमन १५५ इन्द्र की परिषद् ७३४ १४१ उत्पन्न होने वाले जीव की लेश्या ६७६ शतक-४ १४२ अनगार की पर्वत लाँघने की शक्ति उद्देशक-१, २, ३, ४ १४३ प्रमादी मनष्य विकुणिा करते हैं ६८३ ८२ | १५६ ईशानेन्द्र के लोकपाल ७३९ उद्देशक-५ उद्देशक-५, ६, ७, ८ १४४ अनगार की विविध प्रकार की | १५७ लोकपालों की राजधानियाँ ७४२ वैक्रिय शक्ति ६८६ १४५ अनगार के अश्वादि रूप ६९२ उद्देशक-९ | १५८ नैरयिक ही नरक में जाता है ७४४॥ उद्देशक-६ उद्देशक-१० १४६ मिथ्यादृष्टि की विकुर्वणा ६९७ | | १५६ लेश्या का परिवर्तन ७४६ १४७ सम्यग्दृष्टि अनगार की विकूर्वणा ७०१ शतक-५ १४८ चमरेन्द्र के आत्म-रक्षक ७०६ उद्देशक-७ उद्देशक-१ १४९ लोकपाल सोम देव १६० सूर्य का उदय अस्त होना ७५१ १५० लोकपाल यम देव | १६१ दिन-रात्रि मान ७५६ १५१ लोकपाल वरुण देव १६२ वर्षा का प्रथम समय ७६१ ७२० १५२ लोकपाल वैश्रमण देव १६३ हेमन्तादि ऋतुएँ और अयनादि ७६४ १६४ लवण समुद्र में सूर्योदय ७६८ उद्देशक-८ १६५ धातकी खंड और पुष्करार्द्ध में : १५३ देवेन्द्र सूर्योदय ७७० ७०८ ७२३ ७२७ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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