Book Title: Bhagvana Mahavira Diwakar Chitrakatha 009 010
Author(s): Purnachandramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 6
________________ WWE करुणानिधान भगवान महावीर महात्मन् ! आप बहुत थके, भूखे-प्यासे | भोजन और विश्राम करने के बाद मुनियों | लग रहे हैं। मेरे लिए आया हुआ शुद्ध | | ने नयसार से कहाभोजन और मठा तैयार है, कुछ इसमें | पभद्र ! अब हमें आगे का रास्ता से ग्रहण कर मुझे धर्मलाभ दीजिए। बता दो ताकि हम रात होने से पहले नगर में पहुंच जायें। APNA P मुनियों ने आहार ग्रहण किया। नयसार के मन का कण-कण हर्ष से नाचने लगा। नयसार मुनियों के साथ जंगल में दूर तक छोड़ने आया। JTORY महात्मन् ! पहाड़ी के नीचे-नीचे यह पगडंडी सीधी नगर की तरफ जाती है, सीधे चले जाइए। SHET MV भद्र ! तुमने हमें इस अटवी को पार करने का मार्ग बताया है, हम भी तुम्हें इस संसार रूपी अटवी से पार होने का मार्ग बताना चाहेंगे। नयसार रास्ता बताकर वापस लौटने लगा तो मुनियों ने कहा SURESH SATTA KUTNEWA SAND on international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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