Book Title: Bhagvana Mahavira Diwakar Chitrakatha 009 010 Author(s): Purnachandramuni, Shreechand Surana Publisher: Diwakar Prakashan View full book textPage 5
________________ करुणानिधान भगवान महावीर नयसार स्वयं भी भोजन करने के लिए। एक घने वृक्ष की छाया में बैठ गया। दोपहर का समय होने पर नयसार ने अपने सेवक को आज्ञा दीधूप बहुत तेज हो गई है। मजदूरों को भोजन की छुट्टी दे दो, सेवक ने नयसार के सामने भोजन और छाछ का मटका रख दिया। मन हो रहा है. पहले या किसी अतिथि को भोजन कराकर फिर भोजन करूं? मुनियों को देखकर नयसार प्रसन्न हुआ। उनके सामने गया और नमस्कार करके पूछा(महात्मन् ! घने जंगल जंगल की । में चिलचिलाती धूप में पगडण्डियों में | आप इधर कैसे? 4 हम रास्ता भूल गये। तभी उसने देखा दूर से कुछ तपस्वी मुनि उसी की तरफ आ रहे हैं। Jain Education International For Private Personal use onlyPage Navigation
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