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अमावस्या की मध्य रात्रि को उन्होंने निर्वाण पद प्राप्त किया । बेशक अहिंसा का सूर्य अस्त हो गया। किन्तु याद रखिये कि आकाश का सूर्य अस्त होने पर अपने पीछे अन्धकार छोड़ जाता है किन्तु महापुरुष दुनिया से अस्त होकर भी अपने पीछे अपने सिद्धान्तों का प्रकाश छोड़ जाता है। हमें चाहिए कि भगवान महावीर के उच्चतम जीवन सिद्धान्तों के प्रकाश में अपने लिए सुख और शान्ति के मार्ग की खोज करें । वस्तुतः तभी हमारे आयोजन सफलता से । अलंकृत होंगे।
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