Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ परम पूज्या श्री 105 प्रथम गणिनी आर्यिका विदुषीरत्न सिद्धान्त विशारद, सम्यग्ज्ञान शिरोमणि, जिनधर्म प्रचारिका, ज्ञान चिंतामणि विजयमती माताजी का मंगलमय शुभाशीर्वाद श्री दि. जैन कुन्थु विजय ग्रन्थमाला समिति, जयपुर के प्रकाशक संयोजक श्री शान्ति कुमार जी गंगवाल द्वारा विदित हुआ कि समिति द्वारा गणधराचार्य श्री कुन्थुसागर जी महाराज द्वारा व्याख्यात वृहद् ग्रन्थ भद्रबाहु संहिता एवं सामुद्रिक शास्त्र करलखन प्रकाशित होने जा रहा है। ग्रंथ की विषय सामग्री का अवलोकन कर विशेष प्रसन्नता हुई। प्रत्येक प्राकृतिक घटना का तत्प्रतीक चित्र साथ में प्रकाशित होने से ग्रन्थ का आकर्षण और महत्त्व विशिष्ट होगा। सामान्य व्यक्ति भी चित्रावलोकन कर विषय भर हो जाये।।। यह ग्र-ध जन्मसमरग तक की मानव जीवन के रहस्यों का उद्घाटन करने वाला है। निःसन्देह श्री गणधराचार्य की सूझ-बूझ सर्वोपकारी सिद्ध हई है। इस ग्रन्थ में चित्रों का समावेश करने वाले चित्रकार विशेष आशीर्वाद के पात्र हैं। प्रकाशक संयोजक महोदय श्री शान्ति कुमार जी गंगवाल के साथ-साथ सभी कार्यकर्ताओं को हमारा पूर्ण आशीर्वाद है। आप इसी प्रकार आर्ष परम्परानुसार समीचीन साहित्य का प्रकाशन करते हुए पाठकों को लाभान्वित कर अपने ज्ञानावरणी कर्म का क्षयोपशम बढ़ाते रहे। ज्ञान आत्मा का निज स्वभाव है उसकी प्राप्ति का वर्तमान में स्वाध्याय सर्वश्रेष्ठ साधन है। अत: हमारा संस्था व संस्था के समस्त कार्यकर्ताओं को पूर्ण आशीर्वाद है। प्र. ग. 105 आ. विजयमती संघस्था :प. चा.च. आचार्य आदिसागरजी [अंकलीकर] के पट्टशिष्य प. पू.स.स. 108 आचार्य महावीर कीर्ति जी महाराज

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 1268