________________ -Racecaceaence හ හ හ හ හ හ හ හ ණ : - 223333333333333333333333333232322332223222222 नियुक्ति-गाथा-31 जानने की सामर्थ्य परमावधि में है, इस दृष्टि से उसका क्षेत्र-आधारित निर्देश किया गया है। ca इस व्याख्यान का भाव तो पूर्व व्याख्यान जैसा ही है। इस प्रकार यह गाथा का अक्षरार्थ , हुआ। a (हरिभद्रीय वृत्तिः) ___ इदानीं साम्प्रदायिकः प्रतिपाद्यते- तत्र सर्वबह ग्निजीवा बादराः - & प्रायोऽजितस्वामितीर्थकरकाले भवन्ति, तदारम्भकपुरुषबाहुल्यात्, सूक्ष्माश्चोत्कृष्टपदिनस्तत्रैवावरुध्यन्ते, ततश्च सर्वबहवो भवन्ति। तेषां च स्वबुद्धया षोढाऽवस्थानं कल्प्यते- एकैकक्षेत्रप्रदेश एकैकजीवावगाहनया " सर्वतश्चतुरस्रो घनः प्रथमम्, स एव जीवः स्वावगाहनया द्वितीयम्, एवं प्रतरोऽपि द्विभेदः, श्रेण्यपि द्विभेदा।तत्र आद्याः पञ्च प्रकारा अनादेशाः, क्षेत्रस्याल्पत्वात् क्वचित्समयविरोधाच्च / षष्ठः प्रकारस्तु सूत्रादेश इति।ततश्चासौ श्रेणी अवधिनानिनः सर्वासु दिक्षु शरीरपर्यन्तेन भ्राम्यते, साच असंख्येयान् अलोके लोकमात्रान् क्षेत्रविभागान् व्याप्नोति, एतावदवधिक्षेत्रम् उत्कृष्टमिति। सामर्थ्यमङ्गीकृत्यैवं प्ररूप्यते, एतावति क्षेत्रे यदि द्रष्टव्यं भवति तदा पश्यति, न त्वलोके // द्रष्टव्यमस्ति, इति गाथार्थः // 31 // . (वृत्ति-हिन्दी-) अब सम्प्रदाय-गत व्याख्यान का प्रतिपादन कर रहे हैं- (द्वितीय) व तीर्थंकर अजितनाथ स्वामी के काल में ही प्रायः सर्वाधिक बादर (स्थूल) अग्नि-जीव होते हैं, " : क्योंकि उस समय अग्नि-आरम्भ (जलाना-बुझाना आदि) करने वाले पुरुषों की अधिकता है होती है। सूक्ष्म अग्नि-जीव भी उस समय उत्कृष्टपदी (उत्कृष्ट संख्या में विमान) होते हैं, इसलिए उनकी संख्या (अन्य समय के अग्नि-जीवों की तुलना में) सर्वाधिक होती है। इन अग्नि-जीवों के अवस्थान की कल्पना अपनी बुद्धि से करें तो वह अवस्थिति छ: - प्रकार से सम्भव है। एक-एक क्षेत्र-प्रदेश में एक-एक जीव की अवगाहना हो तो एक 'चतुरस्र घन' की रचना हो -यह एक स्थिति हुई। वही एक जीव अपनी अवगाहना के साथ स्थित हो- यह दूसरी स्थिति हुई। इसी प्रकार, इन जीवों की ‘प्रतर' रचना की जाए। वह , प्रतर भी दो प्रकार का होगा। इसी प्रकार 'श्रेणी' (एक-एक प्रदेश पर एक-एक जीव ca अवगाहित कर एक दिशा में विस्तार करते हुए) का निर्माण किया जाय / वह श्रेणी भी दो - प्रकार की होगी। इन (छः प्रकारों) में प्रथम पांच प्रकार अग्रहणीय (अस्वीकार्य) हैं, क्योंकि - @pecrenceDEOSO988@@ 187