Book Title: Avashyak Niryukti Part 01
Author(s): Sumanmuni, Damodar Shastri
Publisher: Sohanlal Acharya Jain Granth Prakashan

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Page 288
________________ accaca cacaRaceca नियुक्ति-गाथा-57-58 90900202090 9000कितने समय तक प्रवर्तमान रहता है- इस दृष्टि से) अवस्थिति का विचार यहां किया जा ल रहा है। इसका आधार क्षेत्र' को मान कर क्षेत्र-सम्बन्धी अवस्थिति का निरूपण किया जा , रहा है- वहां अनुत्तर विमानवासी देवों का अवधिज्ञान बिना विचलित हुए (निरन्तर) तैंतीस ca सागर प्रमाण अवस्थित रहता है। 'तो' शब्द 'एव' (ही) अर्थ को व्यक्त करता है। वह यह & निर्धारित कर रहा है कि यह अवस्थिति तैंतीस सागर की ही होती है (अधिक नहीं)। काल की अपेक्षा से, यहां अर्थवश विभक्ति-परिणाम करना चाहिए (तृतीया की जगह द्वितीया करनी चाहिए, अर्थात्) 'काल' को अधिकृत कर, (काल को ध्यान में रख कर)। (हरिभद्रीय वृत्तिः) तथा 'द' इति द्रवति गच्छति तांस्तान् पर्यायानिति द्रव्यं तस्मिन् द्रव्ये- द्रव्यविषयम् उपयोगावस्थानमवधेः। भिन्नश्चासौ मुहूर्त्तश्चेति समासः। अवनं अवः, परि अवः पर्यवः, तस्य & लाभः पर्यवलाभः, तस्मिंश्च पर्यवलाभे च-पर्यवप्राप्तौ चावधेरुपयोगावस्थानं सप्ताष्टौ वा " समया इति। व अन्ये तु व्याचक्षते-पर्यायेषु सप्त, गुणेषु अष्टेति।सहवर्त्तिनो गुणाःशुक्लत्वादयः, क्रमवर्तिनः पर्याया नवपुराणादयः, यथोत्तरं च द्रव्यगुणपर्यायाणां सूक्ष्मत्वात् स्तोकोपयोगता 1 इति गाथार्थः // 17 // . (वृत्ति-हिन्दी-) तथा द्रव्य में। जो उन-उन पर्यायों को प्राप्त होता रहता है, वह द्रव्य होता है। उस द्रव्य में। 'द्रव्य में' इस कथन का तात्पर्य है- द्रव्यविषयक उपयोग। उसकी 6 स्थिति- भिन्न मुहूर्त (अन्तर्मुहूर्त) की होती है। भिन्न (अपूर्ण) जो मुहूर्त इस अर्थ में समास होकर 'भिन्नमुहूर्त' पद बना है। अव यानी परिणमन, परि अव- अर्थात् परिणमन रूप 'पर्याय', उसका लाभ (ग्रहण) या प्राप्ति- यह ‘पर्यवलाभ' का अर्थ है। उसमें, अर्थात् पर्याय-विषयक ज्ञान की प्रक्रिया में अवधिज्ञान के उपयोग की स्थिति सात-आठ समय की ल होती है। ___अन्य आचार्य इस प्रकार से व्याख्यान करते हैं- पर्यायों में सात, तथा गुणों में आठ 2 समय की उपयोग-अवस्थिति होती है। गुण हैं- शुक्लत्व आदि, जो द्रव्य के सहभावी होते हैं। " पर्याय हैं- नया, पुराना स्वरूप जो द्रव्य में क्रमवर्ती होते हैं / द्रव्य, गुण, पर्याय- इनमें पूर्व से की अपेक्षा उत्तरोत्तर सूक्ष्मता होती है, इसलिए गुण की अपेक्षा पर्यायों में उपयोग अल्पसमय , का होता है। यह गाथा का अर्थ पूर्ण हुआ ||57 // 222322233333333333333333332223323232322382332 - (r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)cene 247

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