Book Title: Avashyak Niryukti Part 01
Author(s): Sumanmuni, Damodar Shastri
Publisher: Sohanlal Acharya Jain Granth Prakashan

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Page 306
________________ caceenacance 999999000000 - &&&&&&&&&&&&& नियुक्ति-गाथा-66 (वृत्ति-हिन्दी-) नारक, देव व तीर्थंकर -इन तीनों का यह समस्त पद प्रयुक्त है। c& इनमें 'नारक' व 'देव' शब्द -इनके अर्थ पहले बताये जा चुके हैं। तीर्थ-निर्माण करने वाले , तीर्थंकर होते हैं। 'च' शब्द यहां 'एव' (ही) अर्थ में प्रयुक्त है, (अतः) वह अवधारण करता है , 4 और उसका (नारकी आदि के साथ न होकर) आगे के पद (अबाह्य) के साथ सम्बन्ध है. जिसे अभी (यहीं) स्पष्ट करेंगे। ये नारक आदि अवधिज्ञान से बाह्य नहीं होते, 'अबाह्य' होते " ब हैं। तात्पर्य यह है- अवधिज्ञान के उपलब्ध क्षेत्र के अन्तर्गत ही वे होते हैं, क्योंकि उनका " a ज्ञान प्रदीप की तरह सब ओर अवभासक (प्रकाशक) होता है, इसलिए वस्तुतः 'अबाह्य अवधि' वाले ही होते हैं, इनका अवधिज्ञान बाह्य नहीं होता है -यह भाव है। और वे सर्वतः . 6 देखते हैं, अर्थात् सभी दिशाओं, विदिशाओं में भी। यहां ‘खलु' शब्द 'एव' (ही) अर्थ को व्यक्त करता है, वह 'अवधारण में प्रयुक्त हुआ है, अतः अर्थ फलित होगा- सभी दिशाओं में और 2 सभी विदिशाओं में, सर्वत्र ही (देखते हैं)। (हरिभद्रीय वृत्तिः) आह-अवधेरबाह्या भवन्तीत्यस्मादेव पश्यन्ति सर्वत इत्यस्य सिद्धत्वात् 'पश्यन्ति सर्वतः' इत्येतदतिरिच्यते इति।अत्रोच्यते, नैतदेवम्, अवधेरबाह्यत्वे सत्यपि अभ्यन्तरावधित्वे , सत्यपीतिभावः। न सर्वे सर्वतः पश्यन्ति, दिगन्तरालादर्शनात्, अवधेर्विचित्रत्वाद, अतो . नातिरिच्यत इति। शेषाः' तिर्यनरा 'देशेन' इत्येकदेशेन पश्यन्ति।अष्टतोऽवधारणविधिः / शेषा एव देशतः पश्यन्ति, न तु शेषा देशत एवेति गाथार्थः॥ . (वृत्ति-हिन्दी-) (शंका-) 'अवधि से अबाह्य रहते हैं' इतना कहने से ही यह अर्थ - व्यक्त हो गया कि सभी ओर से देखते हैं, अतः 'सभी ओर से देखते हैं। यह कहना अतिरिक्त (अनावश्यक) है। समाधान यह है- ऐसी बात नहीं। अवधि (के क्षेत्र में अर्थात् उसी के). मध्य रहते हुए भी, सभी (ज्ञानी) सभी ओर नहीं देखते, क्योंकि दिशाओं के अन्तराल को 2 है देख नहीं पाते, क्योंकि अवधि का स्वरूप विचित्र है, इसलिए 'सभी ओर देखते हैं' -यह " कथन अतिरिक्त (अनावश्यक) नहीं है। (इसके विपरीत) शेष यानी तिर्यञ्च व मनुष्य 'देश' , यानी एकदेश (एक भाग) से देखते हैं। यहां ही अवधारण' अभीष्ट पदार्थ के साथ किया . जाएगा, अर्थात् उसका प्रयोग इस प्रकार होगा-शेष (मनुष्य व तिर्यञ्च) ही देश से, एकदेश : & से देखते हैं। ऐसा अर्थ (उचित) नहीं है कि शेष (जीव) एकदेश से ही देखते हैं। यह गाथा का अर्थ पूर्ण हुआ। __ @PROPOR@@9889(r)(r)(r)(r) 2650 33333333332 333333333333333333333333333333333 &&&&& &&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&

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