Book Title: Avashyak Niryukti Part 01
Author(s): Sumanmuni, Damodar Shastri
Publisher: Sohanlal Acharya Jain Granth Prakashan

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Page 1
________________ ॐ अर्ह आचार्य भद्रबाहु विरचित आवश्यक-निर्युक्ति (आचार्य हरिभद्रसूरि-रचित वृत्ति सहित ) सम्प्रेरक, संयोजक एवं प्रमुख सम्पादक पू.श्री सुमन कुमार जी म. सा. 'प्रज्ञामहर्षि' (उ.भा. प्रवर्तक) अंगुलमावलियाणं, भानामसंरिवज्ज दोसुसंविज्जा। अंगुलमावलि अंती,आवलिआ अंगुलपुहुत्तं।। हत्टमि मुहुत्तन्ती, दिवसंतो गाउयंमि बोद्धच्चो। जोयण दिवसपुहुतं,पक्वन्तो पण्णवीसाओ।। भरहमि अद्धमासो, जंबूढीवंमि साहिओ मासी। वासं च मणुअलोए, वासपुहुत्तं च रुयामि।। संविज्जमि उ काले, दीवसमुद्दा वि हुँति संविज्जा। कालंमि असंरिवज्जे, दीवसमुद्दा उ भइयत्वा।। ध्यापक पूर्व हिन्दी अनुवादक एवं विवेचक प्रो. डॉ. दामोदर शास्त्री पीठिका

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