Book Title: Avashyak Niryukti Part 01
Author(s): Sumanmuni, Damodar Shastri
Publisher: Sohanlal Acharya Jain Granth Prakashan

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Page 11
________________ ग्राहकालय गुरुभक्ति, एकाग्रता, सेवा-विनय आदि के कारण सद्गुरुओं की कृपादृष्टि का वर्षण सदैव आप पर होता रहा। साढोरा (पंजाब) में आपकी दीक्षा सम्पन्न हुई- विक्रम संवत् 2007, दिनांक 23 अक्तूबर 1950 सोमवार की पावन वेला में। दीक्षा प्रदाता श्रद्धेय श्री हर्षचन्द्रजी म. सा. थे और शिष्य घोषित किए गएपंडितरत्न श्री महेन्द्रकुमार जी म. सा. के। गिरधारीलाल' अब मुनिश्री सुमनकुमार जी म. सा. के नाम से अभिहित हुए। मुनि श्री सुमनकुमार जी ने पण्डितवर्य प्रवर्तक श्री शुक्लचंद्रजी म. सा. और गुरुदेव श्री की उपस्थिति में रहते हुए आगम-साहित्य, आगमेतर साहित्य का तथा संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, पंजाबी, गुजराती, अंग्रेजी आदि भाषाओं का अध्ययन किया। इतिहास आपका प्रिय विषय रहा। जैन धर्म के इतिहास का भी आपने विहंगावलोकन एवं उनके हार्द तक पहुंचने का प्रयास किया। सर्वतोमुखी व्यक्तित्व बाह्य व्यक्तित्व : गौरवर्ण, प्रदीप्त भाल, विशालनेत्र, उन्नत देहयष्टि / आभ्यन्तरिक व्यक्तित्व H सहृदयी, प्रशान्तचेता, करुणाशील, स्पष्टवक्ता आदि गुणों से युक्त! श्रमण-संघ-सेवा: संघ समाज के ऐक्य एवं समन्वय के आप प्रमुख विचारक, व्याख्याता तथा मार्गदर्शक रहे हैं। संघ-विषयक आपकी विचारधारा बेजोड़ एवं नीति सुस्पष्ट रही है। एक कुशल नीतिज्ञवत् आप संघ और समाज के तनावग्रस्त सदस्यों के विचार जानकर अपनी तर्कणा शक्ति से उनका हृदय परिवर्तित कर देते हैं। आपने आज तक पांच श्रमण-सम्मेलन पूज्य गुरुमह एवं गुरुदेवश्री की निश्रा में देखे हैं। ई. 1964 में अजमेर के प्रतिनिधि श्रमण शिखर सम्मेलन' में पंजाब प्रान्त की ओर से पूज्य-प्रवर्तक श्री जी के प्रतिनिधि के रूप में तथा मनि श्री सशील कमार जी. प्रवर्तक पूज्य श्री पथ्वीचंद्र जी म. आदि का 'प्रोक्सी' प्रतिनिधित्व आपने किया। पूना में सन् 1987 के अप्रैल मास में सम्पन्न हुए श्रमण महासम्मेलन में आचार्यश्री जी ने आपको विशेष रूपेण आमंत्रित किया। लगभग 2200 कि.मी. की यात्रा सम्पन्न कर केवल साढ़े तीन माह में आप पूना (महाराष्ट्र) पधारे। विविध पदः ____ 1. उत्तर भारतीय प्रवर्तक : दिनांक 15-8-2001 को आचार्यसम्राट् श्री शिव मुनि जी महाराज ने आपको इस पद पर नियुक्त किया। ____2. श्रमणसंघीय सलाहकार : आचार्यश्री आनंदऋषिजी म. सा. के आदेशानुसार आदिनाथ सोसायटी, पूना के शिष्ट मंडल ने ई. 1987 में आपश्री को इस पद पर अभिषिक्त किया। स्थल-पूना के सन्निकट। ___3. मंत्री : आचार्यश्री के आदेशानुसार उपाध्याय श्री पुष्करमुनि जी म. सा. की तथा उपाचार्य श्री देवेन्द्रमुनि जी म. सा. की सन्निधि में ई. सन् 1988 में विधिवत् घोषणा की गई।

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