Book Title: Avashyak Niryukti Part 01
Author(s): Sumanmuni, Damodar Shastri
Publisher: Sohanlal Acharya Jain Granth Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 301
________________ -cacaca cace caca श्रीआवश्यक नियुक्ति (व्याख्या-अनुवाद सहित) 0902020001 विशाल भूभाग को घेरता है, एक स्थान पर वह शुष्क तृण आदि ज्वलनशील सामग्री प्राप्त कर | & अधिक भयंकर हो जाता है तो दूसरे किसी छोर पर प्रतिरोधी निमित्त पाकर शांत भी हो जाता है - इत्यादिक भाव उक्त दृष्टान्त में अन्तर्गर्भित हैं। 222222333333333333333333333333333333333333333 (हरिभद्रीय वृत्तिः) (द्वितीयगाथाव्याख्या-) इह द्रष्टुः सर्वतः संबद्धः प्रदीपप्रभानिकरवदवधि& रभ्यन्तरोऽभिधीयते। तस्य लब्धिरभ्यन्तरलब्धिः, तस्यामभ्यन्तरलब्धौ तु सत्याम् , & अभ्यन्तरावधिप्राप्तावित्यर्थः।तुशब्दो विशेषणार्थः, किं विशिनष्टि?-तच्च तदुभयं च तदुभयम्, " << उत्पादप्रतिपातोभयं नास्त्येकसमयेन। 'द्रव्यादौ विषये' इत्यनुवर्तते, किंतर्हि?-उत्पादः प्रतिपातो . a वा एकतर एव एकसमयेन, अपिशब्दस्यैवकारार्थत्वात्। अयं भावार्थ:-प्रदीपस्येवोत्पाद एव प्रतिपातो वा एकसमयेन भवति, अभ्यन्तरावधेर्न , & तूभयम्, अप्रदेशावधित्वादेव, न ोकस्य एकपर्यायेणोत्पादव्ययौ युगपत्स्याताम्, " 5 अङ्गुल्याकुञ्चनप्रसारणवदिति गाथार्थः 63 // (वृत्ति-हिन्दी-) द्वितीय (63वीं) गाथा की व्याख्या इस प्रकार है- जो अवधिज्ञान, प्रदीप के प्रभा-पुञ्ज की तरह द्रष्टा (या ज्ञाता) के साथ सब ओर से सम्बद्ध रहे, वह आभ्यन्तर , अवधि ज्ञान होता है, उसकी प्राप्ति होने पर। 'तो' यह शब्द विशेषता व्यक्त कर रहा है। ca किसकी (क्या) विशेषता बता रहा है? यह बता रहा है कि उत्पाद व प्रतिपात -ये दोनों एक समय में नहीं ही होते हैं। द्रव्य आदि - विषय में इस पद की अनुवृत्ति होती है, और 'अपि' " a (भी) शब्द एव (ही) अर्थ को व्यक्त करता है, तब वाक्यार्थ क्या फलित होगा? (इस प्रकार & वाक्यार्थ होगा कि) उत्पाद या प्रतिपात -इनमें से कोई एक ही एक समय में सम्भव है। " - तात्पर्य यह है- जैसे एक समय में प्रदीप (की प्रभा) का या तो उत्पाद होगा या , प्रतिपात, इसी प्रकार अभ्यन्तरावधि ज्ञान के ये दोनों एक साथ नहीं होते, क्योंकि (वह ज्ञान) , c. देशावधि रूप नहीं होता, इसी कारण से। जो एक समग्र होता है, उसमें एक पर्याय से , ca उत्पाद व व्यय -ये दोनों युगपत् नहीं हाते, उसी प्रकार जैसे कि अंगुली का सिकुड़ना और 2 फैलना -एक साथ नहीं होते, क्योंकि या तो अंगुली सिकुड़ेगी या फैलेगी। यह गाथा का अर्थ >> पूर्ण हुआ 163 // (वृत्ति - 2600000000000000000000000000

Loading...

Page Navigation
1 ... 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350