Book Title: Aptapariksha
Author(s): Vidyanandacharya, Darbarilal Kothiya
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 406
________________ कारिका ९६ ] अर्हत्सर्वज्ञ-सिद्धि २९३ रणप्रतिपक्षप्रकर्षदर्शनात् । तथा हि-मोहादिचतुष्टयं क्वचिदत्यन्तं प्रक्षीयते, तत्कारणप्रतिपक्षप्रकर्षसद्भावात् । यत्र यत्कारणप्रतिपक्षप्रकर्षसद्भावस्तत्र तदत्यन्तं प्रक्षीयमाणं दृष्टम्, यथा चक्षुषि तिमिरम्, तथा च केवलिनि मोहादिचतुष्टयस्य कारणप्रतिपक्षप्रकर्षसद्भावः, तस्मादत्यन्तं प्रक्षीयते। २६९. किं पुनः कारणं मोहादिचतुष्टयस्य ? इति चेत्, उच्यते; मिथ्यादर्शन-मिथ्याज्ञान-मिथ्याचारित्रत्रयम्, तस्य तद्भाव एत्र भावात् । यस्य यद्भाव एव भावस्तस्य तत् कारणम्, यथा श्लेष्मविशेषस्तिमिरस्य, मिथ्यादर्शनादित्रयसद्भाव एव भावश्च मोहादिचतुष्टयस्य, तस्मात्त. कारणम् । २७०. कः पुनस्तस्य प्रतिपक्षः? इति चेत्, सम्यग्दर्शनादित्रयम्, तत्प्रकर्षे तदपकर्षदर्शनात् । यस्य प्रकर्षे यदपकर्षस्तस्य स प्रतिपक्षः, यथा समाधान-इसका उत्तर यह है कि अर्हन्तके मोहादि चार कर्मोंके कारणभत मिथ्यात्वादिके प्रतिपक्षियोंका प्रकर्ष देखा जाता है। वह इस तरहसे है-मोहादि चार कर्म किसी आत्मविशेषमें सर्वथा नाश हो जाते हैं, क्योंकि उनके कारणोंके प्रतिपक्षियोंका प्रकर्ष पाया जाता है, जहाँ जिसके कारगोंके प्रतिपक्षीका प्रकर्ष पाया जाता है वहाँ उसका सर्वथा नाश हो जाता है, जैसे आँखमें अन्धकार । और मोहादि चार कर्मों के कारणोंके प्रतिपक्षियोंका प्रकर्ष केवलोमें पाया जाता है, इस कारण वहाँ उनका सर्वथा नाश हो जाता है। $ २६९. शंका-मोहादि चार कर्मोंका कारण क्या है ? समाधान-सुनिये, मिथ्यादर्शन, मिथ्याज्ञान और मिथ्याचारित्र ये तीन मोहादि चार कर्मों के कारण हैं, क्योंकि वे उनके होनेपर ही होते हैं। जो जिसके होनेपर ही होता है उसका वह कारण है, जैसे आँखके अन्धकारका कारण कोचड़। और मिथ्यादर्शनादि तीनके होनेपर ही मोहादि चार कर्मोंका सद्भाव होता है, इस कारण मिथ्यादर्शनादि मोहादि चारकर्मोके कारण हैं। ६२७०. शंका-मिथ्यादर्शनादिका प्रतिपक्ष क्या है ? समाधान-सम्यग्दर्शनादि तीन मिथ्यादर्शनादि तीनके प्रतिपक्ष हैं, क्योंकि उनके प्रकर्ष होनेपर उन ( मिथ्यादर्शनादि ) का अपकर्ष अर्थात् हानि देखी जाती है। जिसके प्रकर्ष होने ( बढ़ने ) पर जिसकी हानि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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