Book Title: Aptamimansa Tattvadipika
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

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Page 8
________________ जिन गुरुवर श्री गणेशप्रसाद वर्णी महाराजने जैन-संस्कृतिके अप्रतिम उद्गम श्री स्याद्वाद महाविद्यालयकी स्थापना करके उसका छात्रत्व अंगीकार किया था और अपने विद्यागुरु श्री पं० अम्बादासजी शास्त्रीके पास 'आप्तमीमांसा' और उसकी टीका अष्टसहस्री' का पाठ समाप्त होने पर 'यदि मेरे पास राज्य होता तो मैं उसे भी आपके चरणोंमें समर्पित कर तृप्त नहीं होता' कहते हुए महाघ हीरेकी अंगूठी उनके चरणोंमें समर्पित कर दी उन्हीं गुरूणां गुरु, परम त्यागी, आध्यात्मिक सन्त श्री १०८ गणेश वर्णी महाराजकी पुण्य स्मृतिमें उनके जन्मशती पर्व पर'आप्तमीमांसा-तत्त्वदीपिका' नामक कृति सविनय समर्पित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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