Book Title: Apbhramsa Kathakavya evam Hindi Premakhyanak
Author(s): Premchand Jain
Publisher: Sohanlal Jain Dharm Pracharak Samiti

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Page 12
________________ १९५-२६६ २२६ २२९ अध्याय ५ अपभ्रंश कथा : परिभाषा, व्याप्ति और वर्गीकरण लीलावईकहा पउमसिरीचरिउ भविसयत्तकहा जसहरचरिउ णायकुमारचरिउ जम्बूसामिचरिउ करकंडुचरिउ सुअंधदहमीकहा मयणपराजयचरिउ २३३ २३७ २४४ २५१ २५७ २६० . अध्याय.६ २६७-३४३ २६७ २६८ २७१ २७३ २७४ हिन्दी प्रेमाख्यानकों और अपभ्रंश कथाकाव्यों के शिल्प का ___ तुलनात्मक अध्ययन सांस्कृतिक पृष्ठभूमि राजनैतिक स्थिति भाषागत स्थिति . धार्मिक अवस्था सामाजिक स्थिति . साहित्यिक अवस्था अपभ्रंश-हिन्दी प्रेमाख्यानकों में पूर्वापर सम्बन्ध कथा-विन्यास पुरविन्यास और कथाविन्यास कथाकाव्यों के चरित्र चरित्रों को मुख्य विशेषताएँ कथोद्देश्य वस्तु-वर्णन नगर-वर्णन द्वीप-वर्णन २७५ २७५ २७६ २८१

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