Book Title: Anusandhan 2019 07 SrNo 77
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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६८
अनुसन्धान-७७
एहनु अर्थ - जिणशासननइ विषइ भक्ति करीनइं तीर्थंकरना जन्ममहोत्सव, महाऋषीश्वरना पारणाना महोत्सव प्रमुख देवता करइ छइ, ते अनुमोदउं छु । तिर्यंचनी देशविरतिपर्यंताराधन तथा नारकीनइ सम्यक्त्वनु लाभ अनुमोदउं छु । बीजा जीवना दानरुचिपणुं, स्वभावि विनीतपणुं, अल्पकषायिपणुं, परोपकारीपणुं, भव्यपणुं, दाखिणालुपणुं, दयालुपणुं, प्रियभाषीपणुं इत्यादिक विविध गुणना समूह मोक्षमार्ग, कारण ते सघलुं मुझनइ अनुमोदq होइ । [इ]णि मेलि परनां कीधां घणां जे सुकृत, तेहनी अनुमोदना कीधी । अथ पोताना कीधा सुकृतनो समूह, ते संवेगरंगि करीनई संभारुं छु इत्यादिक । अन्यइ पणि जिनवचननइ अनुसारि जे पुण्यकरणी कर्यु, कराव्युं, अनइं अनुमोदिउं हुइ; ते सघलुं अनुमोदउं छउं॥ तथा - "अहवा सव्वं वि चिय वीयरायवयणाणुसारि जं सुकडं । कालत्तए वि तिविहं अणुमोएमि तयं सव्वं ॥४७॥"
इति चतुःशरणप्रकीर्णके । एहनु अर्थ - सघलुं वीतरागवचननइ अनुसारि जे सुकृत जिनभवनबिंब कराववां, तेहनी प्रतिष्ठा, पुस्तक लखाववां, तीर्थयात्रा, संघवात्सल्य, जिनशासनप्रभावना, ज्ञानादिकनु उपबंभ धर्मसांनिध्य क्षमा-मार्दव-संवेगादिरूप, मिथ्यादृष्टिसंबंधि पणि मार्गानुसारि धर्मकार्य, त्रण्य कालनइ विषइ मनवचन कायाई करीनइं कर्यु, कराव्युं, अनुमोदिउं हुइ, ते सघलुं अनुमोदउं छु ॥२॥
तथा - "अणुमोएमि सव्वेसि अरहंताणं अणुठा(ट्ठा)णं, सव्वेसि सिद्धाणं सिद्धभावं, *एवं सव्वेसि इंदाणं, सव्वेसि जीवाणं मग्गसाहणजोगे होउ मे एसा अणुमोअणा सम्मं विहिपुव्वी(व्वि)आ।" इति पञ्चसूत्रके प्रथमसूत्रे ।
एहनु अर्थ - सघलाइ अरिहंतनुं अनुष्ठान धर्मकथादि, सघलाइ सिद्धनु सिद्धपणुं अव्याबाधादिरूप इत्यादि, तथा सघलाइ जीवना मार्गसाधन योगसातत्यइ कुशल व्यापार ते अनुमोदउं। मिथ्यादृष्टिना पणि गुणस्थानकनी अनुमोदना सम्यग् विधिपूर्वक शास्त्रनि अनुसारि हो ॥३॥
‘एवं सव्वेसिं इंदाणं' इति पाठः सम्प्रति पञ्चसूत्रे न दृश्यते । तथा चाऽस्य पाठस्याऽर्थोऽपि अत्र न कृतः ।

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