Book Title: Anusandhan 2019 07 SrNo 77
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 128
________________ जून - २०१९ १२१ नंदीराज शक्रादिके रे लाल अष्टभातीना कलशा कीध मेरे प्यारे रे एक एकनी जातिनां रे लाल अष्टोत्तर सहस प्रसिद्ध मेरे प्यारे रे ९ सोवनमयी रूपामयी रे लाल कलश मणिमय चंग मेरे प्यारे रे सोवन रूप्यमयी सहि रे लाल करे कनक मणिमय रंग मेरे प्यारे रे १० रजत मणिमय दीपता रे लाल कनकरजत मणिकुंभ मेरे प्यारे रे अष्टम मृन्मयी जाणिइ रे लाल खीरसिंधुनुं भरियु अंभ मेरे प्यारे रे. वंदु वीर... ११ . ॥ ढाल देशी ॥ मनरा मान्या ॥ द्वितीय ढाल ॥ *** चोषष्टि हरि अच्युतादिके कीधा कलश वरिष्ट मनरामान्या नंदीराज कृत कुंभमां रे दिव्यानुभवे पविट्ठ मनरा मान्या प्रभु अहनिशि धरु तुम्ह ध्यान मुजने आपो समकितदान जेहथी लहीइ मुगति निदान मनरा मान्या ४ आ० पूर्वाभिमुख बेसारी ने रे स्वामीने नंदीराज मनरा मान्या सुरानीत क्षीरोदके रे सर्वौषधि मृत्तिका समाज मनरा मान्या. स्नान करायु तेणे जले रे हरिकर आदर्श शृंगार मनरा मान्या प्रभु आगे उभा रह्या रे बोले जयजयकार मनरा मान्या अंगविलेपन चंदने रे कंठे कल्पतरु पुप्फमाल मनरा मान्या श्वेतवस्त्रावृत गात्रस्यु रे वर हार किरीट विशाल मनरा मान्या काने कुंडल शोभता रे कटक मंडित भुजदंड मनरा मान्या कंठपीठ बहुमूल्यनुं रे धारित वस्त्र अखंड मनरा मान्या. नंदीराजकृत शिबिका रे चन्द्रप्रभा जे पवित्र मनरा मान्या बहु थंभशत जेहमारे मणि मोती कनक विचित्र मनरा मान्या पणवीस धनु विक्खंभ छ रे लांबी धनुष पचास मनरा मान्या छत्रीस धनुनी उच्चतारे सुरे तिम कीधा उल्लास मनरा मान्या

Loading...

Page Navigation
1 ... 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142