Book Title: Anusandhan 2019 07 SrNo 77
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 130
________________ जून - २०१९ १२३ इम अनेक वाजिंत्रनो प्रसर्यो त्रिभुवननाद मोहननी प्रभु गुण गीत गोरी मीली गावे सरले साद मोहननी ३० वारी वाजिंत्र शब्द सुण्यो तदा मीलीया नारीना थोक मोहननी जिन मुख अति हरखे करी निरखे नागरिक लोक मोहननी ३१ वारी० शोभित प्रभु मुख आगले अष्ट मंगलिक चंग मोहननी पुंठे नंदीनृप चालता सेना लेइ चतुरंग मोहननी . ३२ वारी० इम अनुक्रमे जाणिइ पूर्ण कलश भंगार मोहननी चामर ने मोटी धजा ते आगे छत्र सफार मोहननी ३३ वारी० सिंहासन सणि हेमनु पादपीठ संजुत्त मोहननी अष्टोत्तर शत गज तुरी आरोहक रहितज वुत्त मोहननी ३४ वारी० घंट पताका मनोहरू शस्त्र भृतरथ चंग मोहननी अष्टोत्तर शत नखरा मन धरता अतिहि उमंग मोहननी ३५ वारी० चार अनिक चाले वहि लघु सहस पताका हुँत मोहननी जोयण सहस उंचो सहि महेन्द्रध्वज लहकंत मोहननी ३६ वारी वीरजिणंदनी अष्टोत्तरशत मालता चइवधर(?) कुंतना धार मोहननी पीठफलग हास्यकारका नर्मवचन कहणार मोहननी ३७ वारी० उग्रभोगादिक वंशना तलवर माडंबि जोय मोहननी शेठ कोटुंबिक सामटा सारथवाह बहु जोय मोहननी ३८ वारी० मंजुल मन करी आविया सुर मानव केई कोडी मोहननी जइ जइ शब्द प्रयुंजता प्रभुने नमे कर जोडी मोहननी ३९ वारी० हुं वीर जिणंदनी ढाल २॥ मुखने मरकलडे ए देशी ॥ पंचम ढाल ॥ श्री वर्धमान जिन रायाजी जिनमुख भामण महे (छे) सुरपति सेवित जस पायाजी जिन. दीक्षाकल्याणक जुओजी जिन. मागसिर वदी दशमी हुओजी जिन मुख. ४०

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