Book Title: Anusandhan 2019 07 SrNo 77
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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अनुसन्धान-७७
२०
॥ ढाल - रामपूरा बाजारमां ॥ तृतीय ढाल ॥ मनु शिबिकामा समावता सुर वि(पि)णते ततकाल मेरे लाल तेहमा पुरव संमुखे सिंहासन बेठा कृपाल मेरे लाल
सुगुण सनेहि साहिबो | ए आंकणी ॥ १९ कुल महत्तरिका अंगना दक्षिण बेठी तेह मेरे लाल हंस लक्षण पट सा ग्रही प्रभु सुख ज्योति ससनेह मेरे लाल. दीक्षोपकरण लेइने अंब धात्री वामांग मेरे लाल एक पुंठे छत्र कर ग्रही वरतरुणी मनरंग मेरे लाल २१ सु० ईशान कुण एक स्त्री रही कर पूर्ण कलश विस्तार मेरे लाल अग्निकोण मांहि तथा वींजणो लेइ एकनारि मेरे लाल २२ सु० बेठी सहु भद्रासने हवे नंदीनृप आदेश मेरे लाल सहस गमे शिबिका प्रते उपाडे हरखे अशेष मेरे लाल उपरली बाहा वहे दक्षिण सौधर्मेन्द्र मेरे लाल उत्तरनी बाहा तिहां अग्रेतन ईशानेन्द्र मेरे लाल तिम चमरेन्द्र अधस्तनी ए दक्षिणबाहा वहंत मेरे लाल उत्तरनी ते पाछली बलीन्द्र वहे हरखंत मेरे लाल भवनपति व्यंतर ज्योतिषी वली वैमानिक इंद्र मेरे लाल यथायोग शिबिका वहे धरतां विनय अमंद मेरे लाल २६ सु०
॥ ढाल देशी ॥ मोहननी ॥ चतुर्थ ढाल ॥ पुष्पवृष्टि सुरवर करे गाजे दुंदुभिनाद मोहननी ते समये सुख स्वर्गना तृण समणता आह्लाद मोहननी
वारी हुं वीर जिणंदनी ए आंकणी शक्र इशानेन्द्र बे दिशे चामर ढाले सश्रीक मोहननी सुरवृंदे नभ शोभतो भूतल विण रमणीक मोहननी २८ वारी मंगलतूर वजावते भंभा भेरी प्रधान मोहननी संख मृदंग ने झल्लरी वाजे ढोल निशान सोहननी २९ वारी०
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