Book Title: Anusandhan 2019 07 SrNo 77
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
View full book text
________________
जून - २०१९
बे स्तवन
(१) ॥ ६०॥ राग - सारिंग मल्हार - ढाल - कडखानी स्वामी तुं ही साधार दुःखपार ऊतारिवा, भगतवच्छल दुःख तुंहिं भाजइ । जय तु परमेसर गौडिका पासजी, धवल धिंग सत्य तुम बिरुद छाजइ ॥
स्वामी० ॥१॥ ध्यान तुमचइ अरि करि हरि थरहरइ, प्रेत पिशाच सवि दूरि नासइ । डायणी-सायणी व्यंतर-व्यंतरी, तेहना भय तुम नामि त्रासइ ।। स्वा० ॥२॥ जे दरिद्री दुःखी(खि)आ हुइ जन्मथी, पास तुम नामि ते ऋद्धि पावइ । वयर विरोध विखवाद वारी करी, वीछड्यां सजन तुंहीं मिलावइ । स्वा० ॥३॥ ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं नमीउण पास विसहर, वसह जिण फुल्लिंग मंत्रइं आराधइ । धूप दीप आचरी आंबिल तप करी, ते प्रभु अष्ट महासिद्धि साधइ ॥ स्वा० ॥४॥ आणि करुणा करु सार सेवकतणी, पहिली जिम सेवकां सार कीधी । आवती आउली विकट वारी करी, सेवकां वंछित सिद्धि दीधी ॥ स्वा० ॥५॥ कामदुघा थकी अधिक सुख तुं दीइ, कल्पद्रुम थकी पणि तुं ही दीपइ । वंछितदायक पास गुडी धणी, सेवकां सार करयो समीपइं ॥ स्वा० ॥६॥ तुम चरणांबुजई मधुकरनी परिं, राति-दिवस रहुं ध्यानि लीनु । न्यानसागर कहि सार करयो सदा, ध्यान तुमचइ रहुं रंगि भीनु ॥ स्वा० ॥७॥
इति गुडी पार्श्वनाथ स्तवनं समाप्तं ॥

Page Navigation
1 ... 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142