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अनुसन्धान-७७
काचि नारी इम कहे अन्न रांध्या हे नारी कवण पराण तो वलती बीजी कहइं पय पड्या हे आपे राउ न राण... १५० काइक बोलइ कामिनी नरसेती हे चूकी अकवार तउ हवइ बइसी सु रही कां निगमइ हे आलइ जमवार... १५१ स्युं बोली बीजी कहइ जाणइ छे हे आदरस्यइ भरतार ओ सरिखो किहांथी मिलइ नर बीजो हे को नही ओणि संसार. १५२ हणुमंत जेहवा जाईआ पति भगती हे काई अहवी न नारि सो गिरि वसतु रही जीवती तो इणने हे छइ सील आधार ओक कहइ नारि इस्यो सुत इणरो रे वरी अणुहारि सही तूठो हे तिणनइ देव मुरारि... काचित मोही कामिनी देखीनइ हणुमंत कुमार सुंदर नर देखी करी नारीनइ हे वाधइ प्रेम अपार. जिण घरि नारी रूअडी घरि तेणइ हे रूडा नाहनी खोडि पुरुष भमर नारी पखइं जग माहि हे नहि सारिखी जोडी. १५४ . मनमाहइ इम चीतवइ जे बोली हे पर-घर-भंजी नारि तो प्राण उणरो साबतो जाणे ज्यो हे पंडित हृदय विचार... १५५ आप तिहांथी ऊठिनइ मन चिंतइ हे अंजना लाधी मइ अथि तो हवि मुझ चिंता टली जइ जोवू हे हिवइ रहिछइ जेथि... १५६ इम चीतवि तिहांथी चल्यो पुरमांहि हे आयो राजदुआरि ढाल भणी अ पांचमी नारीनां हे कुतूहलरो कुण पार... १५७
दूहा राजसभाइ आवीयो ऋषभदत्त परधान हरख धरी सहु को मिल्या दीधो आदर मान... १५८ साइं दे(?) राजा मिल्यो पूछी कुसली खेम बाहि धरी बइसारीयो आंणी अंतर प्रेम... केम हुउ तुम्ह आवणो प्रकट करो संकेत मिलवा कारणि मजलसइं कि को बीजो हेत...