Book Title: Anusandhan 2019 07 SrNo 77
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 118
________________ जून - २०१९ १११ १६१ ऋषभ कहइ राउजी सुणो मिलणउ धरि काम अंजना कारणि आवीयो जोतो पुर वन गाम... कुमर सिधाया कटकीयइं राजा रावण साथि वांसइ दोस देई शिरइ काढी वाह्य अनाथ... कइ खाधी वन सावजे कइ मूइ त्रस भूख कइ नर खेचर ले गयो कइ दाधी प्रिय दूखि... १६३ काइक सूधि लाधी इहां ते सुणि आयो अथि छती वतावओ जु हुई नहीतर भमवओ केथि... १६४ अवधि कही त्रिण दीहनी ते दीन हुआ आज मिलतां रहस्यइ माहरी पूंठइ सघली लाज... १६५ चहि रचावी वेदिमइ बइठो पवनकुमार मिलियां विण जीवइ नही ओ निश्चय निरधार... १६६ जो होइ तो ते वाउडो म करो ढील लगार तिणइ कह्यो अह्म घरि अछइ करिज्यो दिल्ल करार... १६७ ओ बइठी निरखो जई दानसाल द्यइ दांन पुण्य तणो पोतो भरइ पुत्र सहित सावधान... १६८ ऋषभदत्त तिहांथी ऊठिनइ आयो तेणइ ठाम सतीइ देखी उलस्यो ओ मुझ पति मित्र मान... १६९ अंजना ऊठी देखिनइ आणी लाज विवेक ऋषभ जुहार करी तिहा आगइ रह्यो सु छेक... १७० मन उल्हास धरी घणो पूछी प्रिय कुशली वात्त कुशलेखेमे आयनि मिलीयां निज माय तात... १७१ ऋषभ कहइ सहू को मिल्या पाम्यो घण आणंद पिणि तुझ पाखइ तुझ पति झांखो रयणि विना जिम चंद १७२ हुं तुम्ह आयो तेडवा म करो कोई विलंब जाणिउं प्रीउ जीवतातणो देखां मुखी प्रतिबिंब... १७३

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