Book Title: Anusandhan 2019 07 SrNo 77
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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अनुसन्धान-७७
षट् दरसणरा ग्रंथमांहि अंजना केरी वात पवनसुतन हणुमंत राय प्रगट्या अवदात आ हे गुणे सती सु वण्णियइ जासु वदइ संसार जैन माहिं ठामे घणी दीसइ अत्थ अधिकार... पिण परमारथ जूजूआ नाम तणा निरधार... शीलतरंगणी ग्रंथथी ए रचिओ संकेत कांइक कवि मति केळवी भिन्न कियो अछइ हेत... आ हे ते दूषण मत काढिज्यो गुणग्रह करज्यो रंग सोभतो मइ आणियो लागइय सरस सुचंग... श्री मुनिसुव्रत सामिरइ वारइ हूइ वात च्यार वही जिन वचि गया कुण जाणइ अवदात... युगप्रधान श्रीजिणेसरइ कह्यो ज्ञान तणा (वाण?) तासु वचन सत्य मांनीयई जउ वहीयइ आंण... तासु वचन लोपी करी जे कह्यइ मतिसार ते मुझ मिच्छा दुक्कडं सुणिज्यो नरनइं नारि... पिपलगच्छइ जाणीइ शांतिसूरि गणधार चकेसरी पदमावती सेवइ वारोवार... भंग छ वट्टण भाखीइ धूलि कोल संकेत कुटुंब श्रीमाली सातसई ऊगार्या गुणहेति... भोजछ(स)भानइ सातसइ जीता वाद विशाल जिनशासन शोभावीयो वादी बिरुद वेताल... तिण गच्छ पीपल थापियो आठ शाख विस्तार संवत रुद्र बावीस मइ दसइ दीपइ हुई सुखकार... ते गच्छ दीपता साचोर मझार वीर जिणेसररो जिहां तीरथ अछई उदार... तासु पाटि अनुक्रम हुआ लछीसागर सूरि विनय राज कर्म सागरु वाचक सदाइ सनूर... तास सीस पुण्य सागरु वाचक भणइ अम अंजनासुंदरी चोपई पुरण वधतइ हेज...

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