Book Title: Anusandhan 2019 07 SrNo 77
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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जून - २०१९
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सजल सरोवर देखिओ ते पुर निकटइ प्रौढ नरनारी आवइ घणां क्रीडा करण निगूढ... १३८ ऋषभदत्त तिहां आवीओ निरमल कीध सनांन पाछइ वडवृक्षनइ तलइ बइठो मेल्हि विमान... काचित्त आवती जावती वात करइ पणिहार धन्य से बाइ अंजना जिणरइ वीरकुमार... ऋषभइ वाणी सांभली पायो मन संतोष सुगुं वात अंजना तणी गुण बोलइ किइ दोस... १४१ ते इहां निश्चल अछइ पणि छइ कवण सरूप छानइ रहिनइ सांभलुं नाम गाम गुण भूप... हूई हो अणहार जे वात देसाउर जेह पणि पणिहारी वाटडी सघली लहीइ तेह...
ढाल : वधावा गीतनी जाति - राग : मल्हार ऋषभदत्त बइठो सांभलइ अक जाती हे वली वलती नारि कहंति सोभागी साजण सांभलो अंजना नइ हनुमंत वात विरतंत... सो...
१४४ काचित् बोलइ कामिनी अंजना नइ हे मांनी आपणइ कंति-सो. आपणि सासरिए परिहरी शिर देई हे कूडो दोस कलंक.... एक सतवंती सुंदरी एण मोहिं हे नही वले वंक कुवंक सो. १४५ काइक वली नारि कहइ बहु दीहाहि राख्युं शीलरतन्न... सो. पणि धणीइं नवि आदरी तब छेहडइ हइ विणसाड्युं मन्न... १४६ काचित इम कहइ सती इणइ अवडां हे कां दुःख दीउ शरीर... कोइ शिर करवो हूंतो जोईनइ दिल्ल हीर...
सो०. १४७ काइक वात इसि कहइ नारीनइ हे सुंदर रूप विणास...सो. भ्रमर नर भमता रहइ पाखतीयां हे माडइ पास वेसास... १४८ काचित नारी इम कहे झख मारओ हे जो मन द्यइ साखि खूटामाहिं खेडीइं न बुलावइ हे को ऊभां थिर राखि. १४९

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