Book Title: Anusandhan 2019 07 SrNo 77
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 115
________________ १०८ अनुसन्धान-७७ जे माणसस्युं रंग विलूधओ सो घटहुं तन जाय मूढ गमार करइ पर निंदा भेद न जाणइ अंतर भाय... रं० १२५ हां रे प्रिया तइ दाह उपायो मिलि गुणरस देखाय जउ हुं जाणुं दुःख देइस तो कुण रहई प्रीति लगाइ... जिणसुं प्राण विलाई रहिउ दे कुल लज्जा छेह ते साजण विरचीनई बइसई ते दुख लहीइ केतेह... पवनकुमार मनमांहि झूरइ नाखइ भरि नीसास प्राणप्रिया तो दरिसण पाखइ क्षिण अक वरस छ मास... रं० १२८ पवनकुमर दुखीओ देखी समझावइ माइ तात दुख किसो आण नइ नारीनो अवर भलेरी परणे सात... रं० १२९ जे नर अबला पूठिं झूरइं ते नर अधम कहाइ लोक करइ परपूंठइ निंदा राखीजइ मन धीर धराइ... रं० १३० जो नारि तो इणि भवि अंजना नहींतर सरण अगन्नि जो वलइ तो वेगी ल्यावओ बीजी छइ मेरीइ मात बहिन्नि... रं० १३१ कुमर जइ वनमांहई बइठो करवा अगन प्रवेश सकल लोक है है पुकारई महाजन मंत्री नरेश... रं० १३२ ऋषभदत्त आवीनइं बोलई अम्ह ओक मानी वचन्न त्रिणि दिवस माहि जो नाणुं तो करि जे जे होइ मन्नि.... रं० १३३ मित्र वचन्न मानीनई रहीयो विरही पवनकुमार चोथी ढाल थई ओ पूरी प्रीति ऊपरि पडो धिकार... रं० १३४ दूहा मंत्री तिहांथी चालीउ अवधि कही त्रिण दीह गिरि पुर वन जोतउ फिरइ सासवंत अबिह... पूछइ वनचर वानरा वली वनतणा पुंलिंद ढूढइ आश्रम ऋषि जती जोगी जंगम वृंद... को न कहइ दीठी किणइ इणि मन घणुं दलगीर फिरत फिरत आवीयो मातुलपुरनई तीर... १३७

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