Book Title: Anusandhan 2019 07 SrNo 77
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 106
________________ जून - २०१९ सांभली वाणी सीअली अंजना हरखी चित्त... सो. चालउ बाई वांदीये पय पंकज सुभ मित्त... सो... बेउ जण उंची चडी सुतनइ तेडी खंधि... सो. जिहां रिषि ऊभो ध्यानस्युं आवी तेणइ संधि... सो... १० देई त्रिणि प्रदक्षणा नमणी करई पंचांग... सो. तुं जंगम सुरतरु जिसिउ निर्मल जल गुणगंग... सो.... आज सफल दिन माहरो आज चिंतामणि लाध... सो. दरिसण दीठउ ताहरो मणिमय मोटा साध... सो... यो साची ध्रम देसणा किम सुख पामई जीव... सो. दुरगति जातां ऊधरो छोडावो दुख रीव... सो.... काउसग पार्यो मुनिवरई बईठो द्रढ आसन्न... सो. द्यई मधुर धृतिदेशना शंशय हरण वचन्न... सो... अनित्य पदारथ ओ सह तिणरी केही आस... सो. जीवित जलरउ बुदबुदउ संध्या राग प्रकास... सो... काया बहू रोगई भरी खिणतई विणसी जाई जे पुदगल दीहई होइं ते निशि न वली थाई...सो... मोह तिमरवसि जीवडो अंध रहई निसदीस... हावकोतो(?) फिरतो रहई मनि नाणई जगदीस... सो... १७ प्राणीनई यम संहरई काया होवई छार तन धन जन पूठई रहई कोई नावई लार... कीध कमाई भोगवई न खरी सखरी आप... सरणई को राखई नही आडउ आवई पाप... सो.... दुर्लभ भव मानव तणो वली आगमरउ जोग सद्दहणा जिन धर्मनी किरिआ करण प्रयोग... सो... दसे प्रकारे दोहिला च्यारिये परमांग थावरत्रस भव पूरणा करवी कर्मप्रसंग... सो... किणही दोस न दीजीइं सुखदुःख सिरज्या होइ ईम जाणी धर्म आदरो जिम दुःख नावई कोई. सो... २२

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