Book Title: Anusandhan 2018 04 SrNo 74
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 40
________________ २०१८ बंधन - हेतु नही एकतालीस, हास-षडग पणतीस हां चालिस, नवमत्थ(छ?) भागह गोलो ॥ १८ ॥ || भाषा ॥ पढम-भागि एक कोह विलोडीइ, मान माया तिय वेद विछोडी । पंच भाग इम एक विहीणा, नव गुणे इम एह छ खीणा ॥ १९॥ दसमिइ गुणि दस हेतु गुणीजइ, आठ योग एक लोभ भणीजइ, उदारिक एक योगो । बंधन - हेतु नहीं सइतालीस, कोहादिक षट तिम एकतालीस, दसमि लोभ - वियोगो ॥२०॥ ॥ भाषा ॥ आठ योग पुण एक ऊदारिक, नव हुइ गुणठाण इगारक । कर्म - हेतु नही अडयालया, नैगुणो नही छेद संभाला ॥२१॥ तेही ज नव बारम गुणठाणिइ, ते अडयाल मुणी तिम जाणइ, हेतु चतु छेदो । सत्यासत्य अस[त्य] वचो मन, ए चतु छेदी हूआ ते मुनिजन, बारम गुण भेदो ॥२२॥ तेरम गुणठाणि सत हेतो, साचूं वचन हुइ तिम चेतो, असच्च-मोस ए च्यारो । ऊदारिक ऊदारिक-मीसो, कम्मणस्यूं सत हुई सीसो, एह सयोगि-विचारो ||२३|| उक्तं च पणपन्न५५ पन्ना ५० तिअ ४३ छहिअ ४६ चत्त गुणचत्त ३९ छ २६ चउ २४ दुगवीसा २२ । ३३ सोलस १६ दस १० नव ९ नव ९ सत्त ७ हेऊणो न उ अजोगंमि ||२४||

Loading...

Page Navigation
1 ... 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86