Book Title: Anusandhan 2018 04 SrNo 74
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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२०१८
बंधन - हेतु नही एकतालीस, हास-षडग पणतीस हां चालिस, नवमत्थ(छ?) भागह गोलो ॥ १८ ॥
|| भाषा ॥
पढम-भागि एक कोह विलोडीइ, मान माया तिय वेद विछोडी । पंच भाग इम एक विहीणा, नव गुणे इम एह छ खीणा ॥ १९॥ दसमिइ गुणि दस हेतु गुणीजइ, आठ योग एक लोभ भणीजइ, उदारिक एक योगो । बंधन - हेतु नहीं सइतालीस, कोहादिक षट तिम एकतालीस, दसमि लोभ - वियोगो ॥२०॥
॥ भाषा ॥
आठ योग पुण एक ऊदारिक,
नव हुइ गुणठाण इगारक ।
कर्म - हेतु नही अडयालया,
नैगुणो नही छेद संभाला ॥२१॥
तेही ज नव बारम गुणठाणिइ, ते अडयाल मुणी तिम जाणइ, हेतु चतु छेदो । सत्यासत्य अस[त्य] वचो मन, ए चतु छेदी हूआ ते मुनिजन, बारम गुण भेदो ॥२२॥ तेरम गुणठाणि सत हेतो, साचूं वचन हुइ तिम चेतो, असच्च-मोस ए च्यारो ।
ऊदारिक ऊदारिक-मीसो, कम्मणस्यूं सत हुई सीसो, एह सयोगि-विचारो ||२३||
उक्तं च
पणपन्न५५ पन्ना ५० तिअ ४३
छहिअ ४६
चत्त गुणचत्त ३९ छ २६ चउ २४ दुगवीसा २२ ।
३३
सोलस १६ दस १० नव ९ नव ९ सत्त ७ हेऊणो न उ अजोगंमि ||२४||

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