Book Title: Anusandhan 2018 04 SrNo 74
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 68
________________ जान्युआरी २०१८ २१८ पुण्यई... श्रीविजयदेवसूरि श्रीआचारजि, महा महोछवि शुभ वारिहं रे, करइ प्रतिष्ठा अंजनशिलाका, पुण्यवंत परिवारई रे संघवी जयमल्ल संघ पहिरावइ, सात षेत्रे वित्त वावइ रे, आचारजिस्यूं श्रीगच्छपतिनई, जालहुरि चउमास करावई रे २१९ पुण्यई... ॥ दूहा ॥ राग = कल्याण ॥ साह तेजपाल सीरोहीथी, आवी वंदइ पाय, श्रीगुरुना उच्छाहस्यूं, वली वंदइ जिनराय २२० २२१ ॥ ढाल - सत्तरमी ॥ १७ राग - धन्यासी ॥ अढाई द्वीप मझारि - ए देशी ॥ जयमल्ल नई तेजपाल, श्री संघस्यूं गुरु वींनवई ए श्रीगुरु परमदयाल, वीनतडी अवधारीइ ए जालहुरनयर मझारि, वांदणां महोच्छव कीजिइ ए, हरखइ जिम नर-नारि, जिम अम्हे मन रीझीइ ए मानई श्रीगुरुराय, तेणइ समइ ते आग्रह भलो ए, सोल चउरासीइ सार, पोस सुदि दिन निरमलो ए छठि अनइं बुधवार, उत्तरभाद्रपद शिवयोगस्यूं ए. वली रूडु रवियोग, मकरसंक्रांतिना भोगस्यूं ए मीनलगनि जयकार, महोच्छव श्रीजयमल्ल करइ ए वंदण दीइं गुरुराज, चतुरविध संघस्यूं तेणइ समइ ए २२५ विद्यासागरगुरुसीस, सहजसागर बुध सुंदरू ए, बुध जयसागर तास, वाचकपद सहि गुरु दीई ए भ्राता श्रीअनूचान, कीर्त्तिविजय बुधन तिहां ए, वाचकपद बहुमांन, आपई श्रीगुरु उल्हटइं ए देश देशना संघ, तेहनइं करइय पहिरामणी ए, अश्व हेम रथ-दान, आपई वस्त्र वधामणी ए जिनशासनि मंडाण, श्रीगुरुचरण - पसाउलइ ए, दिन दिन चढतइ वानि, श्रीविजयसिंघसूरी सदा ए २२९ २२२ २२३ २२४ २२६ २२७ २२८ ६१

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