Book Title: Anusandhan 2018 04 SrNo 74
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 70
________________ गूढा - प्रहेलिका - समस्या - हरियाळी (२) - सं. उपा. भुवनचन्द्र अनुसन्धान ७२मां आ प्रकार- एक संकलन प्रगट थयुं छे. अहीं आवो बीजो संचय रजू को छे. विद्याविनोद अने मगजमारीनी आ प्रवृत्ति विद्यार्थीओ, विद्वानो जेटली ज सामान्य जनतामां पण प्रिय रहेती आवी छे. कामकाज, अभ्यास अने चिंतनथी थाकेला मस्तिष्कने कदाच ए आराम आपती हशे ! बुद्धिवर्धक अने रसपोषक तो ए छे ज. जाणीती वस्तु के घटनाने अवनवां वाघां पहेरावीने एवी रीते रजू कराय छे के जेथी श्रोताने अनेक दिशामां विचारवं पडे छे. ए रीते तर्कशक्ति, सामान्यज्ञान तथा कल्पनाशीलतानो विकास थाय छे. गूढा / समस्या / हीयाली वगेरेमां उपमा, उत्प्रेक्षा, रूपक, अतिशयोक्ति जेवा अलङ्कारोनो छूटथी उपयोग थाय छे. 'अलङ्कारो ए अशिक्षितोनी भाषा छे' – ए उक्ति कोयडा / गूढा वगेरेमां अक्षरशः साची पडती देखाय छे. हस्तप्रतोमां दरेक प्रश्नना उत्तर लखेला नथी मळता. ज्यां मळ्या छे अने ज्यां शोधी शकाया छे त्यां त्यां कौंसमां नोंध्या छे. ज्यां नथी मळ्या त्यां कौंस खाली राख्या छे. अघरा शब्दो चोटडी = चोटी वाउलि = वायु माती = मत्त-पुष्ट गोली = दासी फलहउ = फलक-पाटियु पंथिया = पथिक भख = भक्ष्य सू = संतान सुघड = शिक्षित वेढि = युद्धमा गिरड्डी = गरिष्ठ प्रथी = पृथ्वी चख = चक्षु राखडी = माथा- घरेणुं नविढा = नवोढा निखर = खराब निगरणि = गळामां

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