Book Title: Anusandhan 2018 04 SrNo 74
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 42
________________ जान्युआरी - २०१८ देवल जावा ऊभो जस्यई, छठ तणुं फल भाख्यं तस्यइं । जावा उद्यम पंथि कीध। अठमतणुं फल तेणइ लीध ॥२॥ जिनमंदिर भणी पगला दीध ___दसमतणुं फल पोतइ कीध । मारगि जातां निर्मे चिंत, । दुवास-फल भाखइ भगवंत ॥३॥ अर्ध-पंथि जिन-मंदिरि गयो, पासखमण-फल तेहनइं भयो । जिन-मंदिर देखइ जेतलइ, मासखमण-फल नर तेतलइ ॥४॥ एकसो वरस करइ उपवास, प्रदक्षिणा देतां फल तास । सहस वरस उपवास वखाणि, ____फल होस्यइ जिन दीठइ जाणी ॥५॥ भावि वंदइ अरिहंत देव, ____ अनंत फल नर लहइ ततखेव । पूज्यि पुण्य हुइ सोगणुं, सहसगुणं विलवि(पि) भणुं ॥६॥ लाखगुणु फल लहिसइ तेह, __मालारोपण करस्यइ जेह । गीत-गान-वाजित्र अनंत गुण नर लहइ वचित्र ॥७॥ जिन पूजइ ते पूजा लहइ, धूपिं तन सबलां महमहइ । दीवो करतां दीपक थाय, __ अस्युभ (अस्युं) वचन भाखइ जिनराय ॥८॥

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