Book Title: Anusandhan 2018 04 SrNo 74
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 62
________________ जान्युआरी - २०१८ श्रीआणंदविमलसूरी तणो, ईडरि सही अवतार, वली जनम हूउ जांमलई, श्रीविजयदान गणधार १४९ श्रीविजयदेवसूरिसनो, ईडरि जनम जयकार, वर्णवतां गुण देशना, किम्हइ न आवइ पार १५० १५४ ॥ ढाल - बारमी ॥१२ राग - केदारो तथा मधुमाद ॥ तिहां थकी हवई किद्ध पया| ए तथा समोसरणि जिम वाजां वाजइ ए देशी ।। जिहां वसइ बहुला विवहारी, पुण्यवंत सोहइ नर नारी, राजि काजि अधिकारी १५१ उपई उपासिरइ मुनिवर थोक, सुद्ध समकितवंत श्रावकलोक, __ नहीं स्वप्नांतरि शोक १५२ नित उच्छव नित नव नव रंग, दान मांन प्रतिष्ठा चंग, __ वली सज्जन सुखसंग १५३ वारू दीसइ वेस सफार, छाना छयल वसइ दातार, __ उत्तम जिहां आचार गढ मढ मंदिर पोढी पोलि, ऊपरि कोसीसानी ओलि, कुंण ईडर सम तोलि १५५ चउटइ चउपट चतुर सुजाण, धर्मधजा दीसइ अहिनाण, जिनमंदिर अहिठाण १५६ हय गय रथ सोहइ सहू सेरी, वाजित्रनाद निसाण नफेरी, अलकाथी अधिकेरी १५७ त्रिपति न पामइ निरखत नयण, जिहां वसइ उपगारी सयण, वस्तु विशेष बहु रायण १५८ तपगच्छपति विजयदेवसूरीश, प्रणमत पूगइ मनह जगीश, महिअलि महामुनीश १५९ सकल संघ आग्रहइ पधारइं, जिनशासननी माम वधारइ, गुरु गुणवंत चित्त ठारइ १६०

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