Book Title: Anusandhan 2018 04 SrNo 74
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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जान्युआरी - २०१८ साह सहिजू एणइ अवसरि ए, करइ वीनती कर जोडि,
कोड अह्म पूरीइ ए १७४ गुरुजी श्रीसंघ तेणइ समइ ए, देखी तस मन चंग,
रंगरसि हा भणइ ए सहूनई लिखिइय कंकोतरी ए, हरख्यो सहिजू साह,
उच्छाहथी संघनइ ए मंडप मोटा मांडीआ ए, दल वादल अभिरांम,
ठाम सोहामणां ए संघ आवइ बहू देशना ए, देशना सुणइ गुरु संगि,
रंगि वित्त वावरइ ए पूजा सुगुरु प्रभावना ए, वाजिवनाद अनेक,
छेकस्यूं शोभता ए साहमीवच्छल बहु करइं ए, पहिरामणी भलइ भावि,
लाछि लाहु लीइ ए महूरतसमय जांणी करी ए, मिलइ संघ सहू थोक,
लोक कुतूहली ए
॥ दूहा ॥ राग - नट्टनारायण ॥ समवसरण रचना करी, जिम तीरथपति चंग, गणधरनी करइ थापना, तिम गछपति मनरंगि १८२ समवसरण मांडी तिहां, सकल संघ समुदाय, कहइ श्रीगुरु तेडो इहां, श्रीकनकविजय उवज्झाय १८३ वाचक बुध बहु मुनिवलं, गुरुवचनथी नाम,
सज्झाय करइ वाचक तिहां, सहू पहुता तेणइ ठामि १८४ ॥ ढाल - चउदमी ॥ १४ राग - धन्यासी ॥ अतिसय सहजना च्यार ए देशी ॥ मानो वीनती एक, वाचकराय विवेक, श्रीगुरु पासिं पधारो, ए अवसर सहू सारो
१८५ वलती कहइ मुनि भाख, जेहवी साकर द्राख, पूज्यनई बहु परिवार, एक एक पाहिं सार
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