Book Title: Anusandhan 1999 00 SrNo 14
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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प्रकृतेश्च महांस्तावदहड्कारस्ततोऽपि च । पञ्च बुद्धीन्द्रियाणि स्युश्चक्षुरादीनि पञ्च च ॥३४।। कर्मेन्द्रियाणि वाक्-पाणिचरणोपस्थ-पायवः । *मनश्च पञ्च तन्मात्राः शब्द(ब्दो) रूपं रसस्तथा ॥३५॥ स्पर्शो गन्धोऽपि तेभ्यः स्यात् पृथ्व्याचं भूतपञ्चकम् । "इयं प्रकृतिरेतस्यां " परस्तु पुरुषो मतः ॥३६।। पञ्चविंशतितत्त्वीयं नित्यं साङ्ख्यमते जगत् । "प्रमाणत्रितयं चाऽत्र प्रत्यक्षमनुमाऽऽगमः ।।३७|| यदे(दै)व ज्ञायते भेदः प्रकृते(:) पुरुषस्य च । मुक्तिरुक्ता तदा साङ्ख्यैः ख्यातिः सैव च भण्यते ॥३८॥ साङ्ख्यः "शिखी "जडी मुण्डी कषायाद्यम्बरोऽपि च । __ वेषे नी(नाऽऽ)स्थैव साङ्ख्यस्य पुनस्तत्त्वे महाग्रहः ॥३९॥ साङ्ख्यम् ।। अथ शैवम् ।। शैवस्य दर्शने तर्कावुभौ न्याय-विशेषकौ ।
न्याये षोडशतत्त्वी स्यात् षट्तत्त्वी च विशेषकै":(के) ॥४०॥ “अन्योन्यतत्त्वान्तर्भावात् द्वयोर्भेदोऽस्ति नाऽस्ति वा । द्वयोरपि शिवो देवो नित्य(:) सृष्ट्यादिकारकः ॥४१॥ नैयाकानां चत्वारि प्रमाणानि भवन्ति च ।
प्रत्यक्षमागमोऽन्यश्चाऽनुमानु(न) मुपमाऽपि च ॥४२।। १. हिवइ चउवीस तत्त्व कहइ छइ २. एक प्रकृति (१) अनइ प्रकृतिथी उपन इ ३. महत(त्त)त्त्व(२) ४. अहंकार (३) ५. चक्षु आदि पांचबुद्धे (ध्दी)द्रिय (४-८)। ६. पांच कर्मेन्द्रिय एक वाणी, हाथ, चरण, गुह्यनइ गुद एवं (९-१३) १३ । ७. मन (१४)। ८. अनइ पांच तन्मात्रा एक शब्द, रूप, रस, स्पर्श, गंध ए पांच एवं (१५-१९।९. अनइ पृथ्व्यादि पांच भूत एवं (२०-२८)।१०. एवं २४ तत्त्वे प्रकृति कहीयइ। ११. तेथी अलगउ ते पुरुष कहेता परमेश्वर १२. सांख्यनइ चउवीस तत्त्व पंचवीसमउ परमेश्वर, तिणइ करी जगत मानइ । १३. प्रमाण त्रिन्हि मानइ एक प्रत्यक्ष (१) अनुमान(२) अनइ वेद(३)। १४. अथ सांख्यना भिक्षु कहइ छइ एक शिखा रखावइ (१) १५. एक वधारइ (२)। १६. एक मूंडावइ (३) । १७. लूगडां कषायांबर पहिरइ । १८. अमुकइ ज वेषि हीडई एहवी आस्था नही, अनइ तत्त्वनइ विषइ निरूपण घणु करइ । १९. शैवदर्शनी शैवदर्शनकइ विषइ वितर्क छइ, एक न्यायशास्त्र छइं (१) बीजं विशेषशास्त्र छइ(२) । २०. ज्ञा(न्या) यनइ विषय १६ पदार्थ छइ । २१. विशेष नइ विषय छ पदार्थ छइ । २२. परस्परइ तत्त्वनउ अंतर्भाव कीधउ छइ; एतलइ सोलनइ विषय षट्, षट्नइ विषइ १६ । सोल मानइ ते ६ न थापइ, छ थापइ ते १६ न थापइ । २३. एणि चिहुं प्रमाणे करी पदार्थनी सिद्धि करइ ।
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