Book Title: Anusandhan 1999 00 SrNo 14
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 119
________________ 114 .. . त्रणे बेठकोना अध्यक्षपदे क्रमशः डॉ. मधुसूदन ढांकी, डॉ. सत्यरंजन बेनर्जी तथा डॉ. सागरमल जैन रह्या हता. तो भाग लेनारा विद्वानो हता: डॉ. के. आर. चंद्रा, डॉ. वी.पी. जैन, डॉ. प्रेमसुमन जैन, डॉ. बेनर्जी, डॉ. सागरमल जैन, डॉ. ढांकी, प्रा. अशोककुमार सिंह, कमलेशकुमार जैन, प्रा. के.वी. महेता, रूपेन्द्रकुमार पगारिया, अरुणा आनंद, प्रा. जगतराम भट्टाचार्य, प्रा. दीनानाथ शर्मा, प्रा. नारायण कंसारा, धरमचंद जैन, पारुलबेन मांकड, निरंजना वोरा, समणी कुसुमप्रज्ञा एवं अमितप्रज्ञा वगेरे. संगोष्ठीनां केटलांक वक्तव्यो विचारोत्तेजक तथा शोधपूर्ण रह्यां. चर्चा पण जीवंत तथा स्तरीय रही. अलबत्त, हजी आवी संगोष्ठीओ वधु विचारोत्तेजक तथा अर्थपूर्ण बने ते माटे वधु सघन आयोजननी आवश्यकता सौने अवश्य वरताई, छतों संगोष्ठीनी सार्थकता तो अवश्य जणाई. ता. १०-४-९९नी रात्रे एक भक्तिसंध्यानो सुमधुर तथा अनौपचारिक कार्यक्रम राखवामां आवेलो जेमां संगीतकार श्रीकिरीट ठक्कर, विद्वान प्राध्यापक तथा संगीत श्रीलाभशंकर पुरोहित, श्रीधैवत शुक्ल तथा श्रीजाज्वल्य शुक्ल-आ सर्वनां कंठ्य-वाद्या संगीतनो तेमज गुजरातना अग्रणी कवि श्रीराजेन्द्र शुक्लनां काव्य पठननो अमूल्य ल्हाके उपस्थित श्रोतागणे प्राप्त को हतो. auravsan E Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144