Book Title: Anusandhan 1999 00 SrNo 14
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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वक्तीतीती टीवेळी : सं. टिट्टिभ, प्रा. टिट्टिह टिट्टिह + ड के डी = टिटोडो, टिटोडी. संस्कृत शब्दना मूळमां ए पक्षी जे लाक्षणिक रीते बोले छे ते 'टिटि' शब्दने प्राणीवाचक शब्दोमां जोवा मळतो 'भ' प्रत्यय लाग्यो छे. (ऋषभ, गर्दभ, करभ, कलभ, डिंडिभ वगेरे) सौराष्ट्रनी बोलीओमां 'टिटोडी' शब्द छे, महेसाणा जिल्लामां तेने माटे वक्तीतीती शब्द प्रचलित छे. देखीती रीते ज ते रवानुकारी छे. नानपणमां वडनगरना शमेळा तळावना बेट पर वक्तीतीती इंडां मूके ते जोवा अमे जता. लोकोमा मान्यता हती के वक्तीतीती ज्यां इंडां मूके त्यां सुधी वरसादनां पाणीथी तळाव भराय छे. . पंचतंत्रनी वार्ता जाणीती छे के आकाश नीचे पडे तो पोतानां बच्चा दबाइ न जाय ते माटे टिटोडी पग ऊंचा राखीने सूवे छे.. पंचतंत्रनी बीजी एक कथा पण जाणीती छे. दरियानी भरतीमां कांठे रहेलां टिटोडीनां इंडां तणाइ जाय छे त्यारे पक्षीराज गरुड सहित बीजां पक्षीओने बोलावी चांचथी दरिया- पाणी उलेचवानुं कहे छे. ने दरियो त्यां इंडां पाछां किनारे मूकी आपे छे. अने सुंदरम्नी ने 'दरियाना तीर एक टटळे टिटोडी' आ कथावस्तु परथी रचायेली, जाणीती रचना
छे.
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