Book Title: Anusandhan 1999 00 SrNo 14
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 88
________________ वालुयपह-नयरीए जहन्नओ तिनि सायराई ठिई । सत्तेव य अयराइं उक्कोसेणं पुणो तत्थ ।।१३६।। पंकप्पहापुरीए जहन्नओ सत्तसागराइं ठिई । उकोसेण पुणो दस तम्मज्झे मज्झिमा नेया ॥१३७।। धूमप्पहनामाए पंचमनयरीए दस जहन्नेण । उक्कोसेण उ सतरस अयराइं जाण ठिई विहिया ।।१३८॥ छट्ठीए पुण तमप्पहपुरीए अयराइं सतरस जहन्ना । बावीस सागराणि उ उक्कोसेणं ठिई विहिया ॥१३९।। बावीस जहन्नेण उ सत्तमतमतमपुरीए अयराई । तेत्तीस पुणो उक्कोसिया ठिई तेण तत्थ कया ॥१४०॥ उवरिं तु तओ न तरइ समयं पि विहेउ समहियं तत्थ । इय एत्तियमेत्तं चिय काउं आउं विओए सो ॥१४९।। तत्थ य सत्तमियाए तमतमनामाए नरयनयरीए। दो चेव पओलीओ कयाओ निग्गम-पवेस, कए ॥१४२।। नरयतिरियाणुपुव्वी नामाओ सुयहराण पयडाओ। एगाए पवेसो चेव निग्गमो चेव बीयाए ॥१४३।। एआए पओलीए दुगं पि पुण नोवलब्भए काउं । सिरिनामराय वसुहाहिवस्स निट्टरभडेहिंतो ॥१४४|| जम्हा आयट्टेउं तिरिमणुयगईमहापुरीहिंतो। लोया खिप्पंति पओलीए नरयाणुपुव्वीए ॥१४५॥ तिरियाणुपुव्विनामयबीयपओलीए जे उ एएहिं । निक्कालिज्जंति इओ ते तिरियगईए खिप्पंति ॥१४६॥ रयणप्पहाइयाओ छनयरीओ उ जाओ तासिं तु । नरयतिरिमणुय-अणुपुव्वि नामियाओ पओलीओ ॥१४७|| पत्तेयं तिनि च्चिय तासु वि नरयाणुपुव्वि नामाए । पुब्बिं व पवेसो चिय दोहिं य इयरीहिं नीकासो ॥१४८।। तत्थ वि जो जन्नयरीए निज्जिही तस्स तयणुपुव्वीए। निक्कासो न पराए कीरइ नामस्स सुहडेहिं ॥१४९।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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