Book Title: Angpanntti
Author(s): Shubhachandra Acharya, Suparshvamati Mataji
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 8
________________ ममा 11 आशीर्वाद विगत कम्पिण -पों में जैनागम को मिल करने वाला एh मिला ऐसा --य, रामा कि सत्मपर अत्तता का आगण आने लगाएकान्तवाद - नियाभास तर पाने लगा। आत के इस भौतिक भुग में असत्य को अपना प्रभाव पैलने में विशेष प्राम नही काना होना, कटु सत्य है ,कारण रीत के भिमा संगकार अनादिकाल से चले आहे है । विगत ७०-८० वर्षों में एकान्तवार, न नित्व का रीका सगा भर निश्यप जप की आड़ में स्याहाद को पीएं घमेलने का प्रयास किया है ।प्रिरणा माहित्य की प्रमार - प्रचार किया है । आन्याच कुन्य कुन्नी आइ लेकर अपनी रुपालाही है और मानो 3 भावाचे बदल रिए हैं अर्पा अनर्थ कर दिया है। ___ जनों ने अपनी ममता पर कान में लोहा लिया है पर से अपनी ओर से जनता के अपेक्षित सत्साहित्य सुलभ नही करना पाए । अधार्य श्री विमलमाRUA महाराज का हीरक जननी वर्ष हमारे लिए एक स्तयि अवसर लेकर आया है। भाबिका स्यालादमती प्राप्ताली ने आग +एवं हमारे समनिष में एक सयल्पलिया A आचार्य की सरक जानी के अवसर पर आप शाहिग का प्रपुर प्रकाशन से ओर भर viral को मुलगा हो । फलत ७५ 3॥ गन्धों के पनाशन का निश्शाय किया गया है. योनि सत्य के तेजस्वी लेने पर जगत्पर म्बर: ही पलागता २ जना । आप गयो के प्रकाशन हेतु चिन अगाधानों ने अपनी स्वीकृति दी एवं प्रत्या- परोक्ष रूप से जिस किसी में से इस मानुष्ठान में किसी भी पार श्रा सामोश किया ५ इन सबको हमारा आशीर्वाद है । उपाण्याम भारतसागर ता.11.७.१९..

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