Book Title: Anekant 1940 06 07
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 18
________________ अनेकान्त ... ज्येष्ठ, पाषाद, वीर निर्वाण सं०२४६६ ४० ८४ लक्ष नयुताँगोंका १ नयुत लम्बाई-चौड़ाई एवं ऊँचाई वाली धान्य भरनेकी पाली' ४१ ८४ लक्ष नयुतोंका १ प्रयुतांग . के समान गोलाकार ऐसे एक कुएँकी कल्पना की जाय, ४२ ८४ लक्ष प्रयुताँगोंका १ प्रयुत .. जिसकी गोल परिधिका नाप तीन योजनसे कुछ अधिक ४३ ८४ लक्ष प्रयुतोंका १ चलिकांग होता है । उसमें, सिर मुड़ाने के बाद एक दिन के दो ४४ ८४ लक्ष चूलिकाँगोंकी १ चूलिका .. दिन के यावत् सात अहोरात्रि तक के बढ़े हुए केशों के ४५ ८४ लक्ष चलिकाअोंकी १ शीर्षप्रहेलिकांग टुकड़ोंको ऊपर तक दबा दबा कर इस प्रकार भरा ४६ ८४ लक्ष शीर्षप्रहेलिकागोंकी १ शीर्षप्रहेलिका जाय कि उनको न अग्नि जला सके, न वायु उड़ा सके ___ अंकोमें ७५६२६३२५३०७३०१०२४११५७६७३ और न वे सड़े या गलें--उनका किसी प्रकार विनाश ६६६७५६६६४०६२१८६६६८४८०८० १८३२६६ इनके न हो सके । कुएँ को ऐसा भर देने के बाद प्रति समय आगे १४० शून्य अर्थात् इस १६४ अंक वाली संख्या एक एक केश-खंडको निकाला जाय । जितने समय में को शीर्ष प्रहेलिका कहते हैं । संख्याका व्यवहार यहीं वह गोलाकार कुआँ खाली हो जाय--उसमें एक भी. तक है । अब इससे अधिक संख्या वाले (असंख्यात केशका अंश न बचे-उतने समयको व्यवहारिक वर्षों वाले ) पल्योपम और सागरोपमका स्वरूप दृष्टान्तों उद्धारपल्योपम कहते हैं । ......... .. से बतलाया जाता है। ऐसे दस कोडाकोड़ी व्यवहारिक उद्धार पल्योपमका औपमिक काल प्रमाण दो प्रकारका होता है- एक व्यवहारिक उद्धार सागरोपम होता है । इस पल्योपम एवं सागरोपम । पल्पोपम तीन प्रकारका होता कल्पनासे केवल काल प्रमाणकी प्ररूपणाकी जाती है । है-१ उद्धार पल्योपम, २ अद्धापल्योषम, ३. क्षेत्र २ सूक्ष्म उद्धार पल्योपमः-उस उपर्युक्त कुएँको पल्योपम ! उद्धार पल्योपम दो प्रकार का होता है-- एकसे सात दिन तक के बढ़े हुए केशोंके असख्य टुकड़े . १ सूक्ष्म उद्धारपल्योपम, २ व्यवहारिक पल्योपम। करके उनसे उसे उपयुक्त विधिसे भरकर प्रति समय १ व्यवहारिक उद्धार पल्योपम--एक योजनकी एक एक केशखंड यदि निकाला जाय, तो इस प्रकार + जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति में योजनका प्रमाण इस प्रकार निकाले जाने के बाद जब कुँया सर्वथा खाली हो जाय, बतलाया गया है-- .. मनुष्योंका बाजार, उनके पाठ बाजामोंकी एक लीख, पुद्गल द्रव्यका सूचमातिसूचम अन्श परमाणु कह. फिर क्रमसे. पाठ गुणित युका, यवमध्य, ( उत्पेध ) लाता है, अनन्त सूधम परमाणुगोंका एक व्यवहार पर- अंगुल-६ ( उत्सेध ) अंगुलोंका एक पाउ बारह माणु । अनन्त व्यावहारिक परमाणुओंका एक उष्ण अंगुलोंका एक बैत, चौबीस अंगुलोंका एक हाथ, श्रेणिया इस प्रकार क्रमशः पाठ पाठ गुणा वद्धितः- अड़तालीस अंगुलोंकी एक कुक्षी, छियानवे अंगुलोंका शं'तश्रेणिया, उर्धरेणु त्रसरेणु,स्थरेणु, देवगुरु उत्तरकुरुके एक अत या. दंड, धनुष्य, युग्ग, मूसल, नालिका युगलियोंका. बालाग्र, हरिवर्षरम्यक वर्षके युगलियोंका अर्थात चार हाथोंका १ धनुष्य, दो हजार धनुष्योंका बालाग्र, हेमक्य ऐरणवयके मनु योंका बालान पूर्ण एक गाउ ( वर्तमान कोस २ माइल) चार गाउ का एक महाविदेहक्षेत्रके मनुष्योंका बालान: भरत ऐरावत क्षेत्रके योजन होता है।

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