Book Title: Ambad Charitram
Author(s): Muniratnasuri, Vijayjinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ // अहम् // कविकुलकिरीट पू. आ. श्रीविजयलब्धिसूरीश्वरगुरुभ्यो नमः पूज्यपादाचार्य प्रवर श्री मुनिरत्नसूरीश्वरविरचितं // अम्बड-चरित्रम् // - - धर्मात् सम्पद्यते लक्ष्मीः धर्मादूपमनिन्दितम् / धर्मात् सौभाग्यदीर्घायुः धर्मात्सर्वं समीहितम् // 1 // धर्मस्योपरि सम्बन्धः क्षत्रियस्याम्बडस्य च / द्वात्रिंशत्पुत्रिकोत्पत्ति-विनोदाय वितन्यते // 2 // जम्बूद्रीपेत्र भरते, क्षेत्रे श्रीवासपुर्यपि / तत्र विक्रमसिंहो राट्, सिंहवत् यस्य विक्रमः // 3 // सभायामन्यदा राज्ञः, समासीनोऽस्ति भूपतिः। पुमानेकः समायातः, प्रणम्योवाच साञ्जलिः॥४॥ शृणोतु कौतुकं राजन् , श्रोतव्यं सदृशं भवेत् / एका गोरखयोगिन्याः वर्तते ध्यानकुण्डिका // 5 // 8 गोरक्ष

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 116