Book Title: Ambad Charitram
Author(s): Muniratnasuri, Vijayjinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 3
________________ * अल्प वक्तव्य मानव जन्मनी प्राप्तिनी सफलता धर्मथी छे. जे जीव धर्मवासित जीवन बनावे के तेनुआ जीवन तथा भावि जीवन उज्ज्वल बने छे. भलभला महारथीओ पण धर्म बिना पांगला छे. धर्म प्राप्त था ते साचा शूरवीर बने छे. अनेक विद्यादिनो मालिक अम्बड सम्पदानी सिद्धि प्राप्त करे छे छतां तेना जीवननी साची सिद्धि प्रभु महावीरदेव पासेथी धर्म प्राप्त थता मेलवे छे. तेनु अद्भुत जीवन आ श्री अम्बड चरित्रमा वर्णवायु छे. आ चरित्रनी रचना चन्द्र-पौणमिक गच्छीय श्री.समुद्रघोषसूरि म. ना शिष्य श्री मुनिरत्नमू. म. ए करी छे. आ चरित्रने वीर कथा पण नाम आप्युछे. चरित्रना बीजा श्लोकमा बत्रीशपुत्रिकानी उत्पत्ति साथे जणावी छे अने अंतिम श्लोकमां 'द्वात्रिंशन्मितपुत्रिकादि चरितं यद् गद्येनपद्येन तत्' एम जणाव्यु के तेमज अम्बड तेनी बत्रीश स्त्रीओनु वर्णन के पण पुत्रीओनी कथा नथी तेथी अम्बडनी स्त्रीओ एजे व्यंतरी बनेली सिंहासन उपर बेसे छे ते वत्रीशपुत्रिकानी कथा छ अथवा स्वतन्त्र रचना सम्भवे छे. अम्बड चरित्रमा 7 आदेश छे. ____ अम्बड चरित्रकर्ता श्री मुनिरत्नसू . छे. तेमणे अममस्वामी चरित्र सं०१२२५मां रच्यु छे. तेमज श्रीमुनिसुव्रत चरित्र पण रच्युछे. तेमणे उज्जयिनीना राजा नरवर्मा राजानी सभामा विद्याशिव वादीने हराव्यो हतो बालकवि जगदेव मन्त्रीनी विनंतिथी उपरोक्त अममचरित्र रच्युछे. नरवर्मा राजाए श्री समुद्रघोषसू. तथा श्री जिनवल्लभसू. ने सन्मान आप्यु हतु अने ११६१ना लेख मले छे. सं० 1160 अंते स्वर्गवास पामेल छे. ग्रन्थकार श्री मुनिरत्नसू. तेनी सभामा विजय वरेला अने १२२५मा अममचरित्र रच्युछे एटले ते तेमनो सत्ता समय गणाय.

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