Book Title: Agam Suttani Satikam Part 23 Dashashrutskandh Aadi 3agams
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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अध्ययनं : ३, उद्देशक :
आगमओ य तत्थ आगमओ सम्म द्दंसणं संकते कंखंते विदुगुंछंते दिट्ठीमोहं गच्छंते अनोववूहपरिवडिय धम्मसद्धे सामन्नमुज्झिउकामाणं अथिरीकरणेंणं साहम्मियाणं अवच्छल्लत्तेणणं अड्डप्पभावना एत्तेहिं अट्ठहिं पि थाणंतरेहिं कुसीले नेए ।
मू. (६२२) नो आगमओ य दंसन- कुसीले अनेगहा तं जहा चक्खु-कुसीले घाण-कुसीले सवण-कुसीले जिब्भ-कुसीले सरीर-कुसीले तत्थ चक्खुकुसीले तिविहे नेए तं जहा-पसत्थचक्खुकुसीले पसत्थापसत्य-चक्खु-कुसीले अपसत्थ-चक्खुकुसीले तत्थ-जे केइ-पसत्थ उसभादितित्थयर-बिंब-पुरओ चक्खु-गोयर-ट्ठियं तमेव पासेमाणे अन्नं कि पि मनसा अपसत्यमज्झवसे सेणं पसत्य-चक्खु-कुसीले तहा जे पसत्थापसत्थ-चक्खु-कुसीले तित्थयर-बिंबं हियएणं अच्छीहिकिं पि पेहेजा से णं पसत्थापसत्थ चक्खु-कुसीले तहा पसत्थापसत्थाई दव्वाई कागबग - ढेंकतित्तिर- मयूराइं सुकंत-दित्तित्तियं वा दद्दूणं तयहुत्तं चक्खुं विसज्जे से वि पसत्थापसत्थ-चक्खुकुसीले तहा अपसत्थ-चक्खु-कुसीले तिसट्ठिहिं पयारेहिं अपसत्था सरागा चक्खू त्ति से भयवं कयरे ते अपसत्थे तिसट्ठी-चक्खु-भेए
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गोमा इतं जहास कडक्खा तारा मंदा मंदालसा वंका विवंका कुसीला अद्धिक्खिया काणिक्खिया भामिया उब्भामिया चलिया वलिया चलवलिया उद्धुम्मिल्ला मिलिमिला मनुसा पासवा पक्खा सरीसिवा असंता अपसंता अथिरा बहुविगारा सानुरागा रागो ईरणी रागजन्ना मयुप्पायणी मयणी मोहनी वम्मोहनी भयजन्ना भयंकरी हियय-भेयणी संसयावहरणी चित्त चमक्कुप्पाणी निबद्धा अनिबद्धा गया आगया गयागया गय-पच्चागया निद्धाडणी अहिलसणी अरइकरा अइकरा दीना दयावणा सूरा धरा हननी मारणी तावणी संतावणी कुद्धापकुद्धा घोरामहा -धोरा चंडा रोद्दा सुरोद्दा हा हा भूयसरणा रुक्खा सणिद्धा रुक्खसणिद्धा त्ति महिला णं चलणंगुट्ठ-कोडि-नह-करसुविलिहिया दिन्नालतं गायं च नह-मणिकिरण- निबद्धसक्क चालवं कुम्मुन्नय-चलणं सम्मग्गनिमुग्ग-वट्ट-गूढजाणुं जंघा-पिहुल-कडियड-भोगा- जहण-नियंब नाही- थण-गुज्झंतर-कट्ठा भूयालट्ठीओ अहरोट्ठ- दसनपंती कन्ननासा नयण-जुयल-भमुहा - निडाल - सिररुह सीमंतया-मोडयापट्टतिलगं-कुंडल-कवोलकज्जल-तमाल-कलाव- हार-कडिय-सुत्तगणेउरर- बहुरक्खग-मणि-रयणकडग-कंकण-मुद्दियाइ- सुकंद-दित्ता भरण- दुग्गुल्ल-वसण - नेवच्या कामग्गि-संधुक्कणी निरयतिरिय-गतीसुं अनंत- दुक्ख-दागया एसा साहिलास सराग-दिट्ठी त्ति एस चक्खु-कुसले ।
मू. (६२३) तहा घाण-कुसीले जे केइ सुरहि-गंधेसु संगं गच्छइ दुरहिगंधे दुगुंछे से णं घाणकुसीले तहा सवण-कुसीले दुविहे नेए-पसत्ये अपसत्ये य तत्थ जे भिक्खू अपसत्थाई काम-रागसंधुक्खन द्दिवन-उज्जालण-पज्जालण-संदिवणाई - गंधव्व-नट्ट-धनुव्वेद-हत्थिसिक्खा - काम-रती-सत्थाईणि गंथाणि सोऊणं नालोएज्जा जाव णं नो पायच्छित्तमनुचरेज्जा से णं अपसत्थ-सवणकुसीले नेए तहा जे भिक्खू पसत्थाइं सिद्धंतराचरिय-पुराण-धम्म-कहाओ य अन्नाई च गंथसत्थाई सुत्ताणं न किंचि आय-हियं अनुट्ठे नाण-मयं वा करेइ से णं पसत्थ-सवणकुसीले नेए तहा जिब्भा कुसीले से णं अनेगहा तं जहा- तित्त- कडुय कसाय-महुरंबिल-लवणाई -रसाई आयायंते अदिट्ठाऽसुयाई इह-परलोगो-भय- विरुद्धाइं सदोसाइं मयार-जयारुच्चारणाइं अयसऽभक्खाणाऽ
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